प्रक्रिया क्या है ? इनके कितने प्रकार हैं ? मौलिक प्रक्रिया क्या है ? कैसे हमारे अनुभव का गठन इन प्रक्रियाओं से हुआ है ? योगी का क्या लक्ष्य है ? चित्त का विकासक्रम कैसे चलता है ? नाद से सृष्टि कैसे हो रही है ? विनाश क्यों है ? अनित्यता क्यों है ? सब माया कैसे है ? जगत के बारे में कैसा अज्ञान है ? योग दृष्टि या ज्ञानी की दृष्टि कैसी होती है ? मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य क्या है ?
जगत नियमित क्यों है ? इन्द्रियां क्या कार्य करती हैं ? अस्तित्व अनंत होते हुए भी हमारा अनुभव सिमित क्यों है ? विज्ञान की क्या सीमा है ? भौतिक नियम गणित द्वारा क्यों जाने जा सकते हैं ? जगत में और गहरे उतरते हैं , इस दुसरे भाग में।
अनुभव का अज्ञान क्या फल देता है ? इसके बारे में जनमानस में क्या मान्यताएं हैं ? अनुभव से मुक्ति कैसे हो ? यहाँ ज्ञान का अंत होता है और माया प्रारम्भ होती है।
अनुभव का स्तोत्र क्या है ? क्या अनुभव मिथ्या हैं ? वस्तुओं में स्थायित्व कैसे दिखता है ? नश्वरता क्यों है ? चित्त और स्मृति में क्या संबंध है ? इस चर्चा के इस दूसरे भाग में हम ये जानेंगे।
इसके कितने रूप हैं? यदि मैं आत्मन हूँ और केवल एक आत्मन है, तो दुसरे जन क्या हैं? मेरा दूसरों से क्या सम्बन्ध है? मानवीय संबंधों का क्या अर्थ है?
ऐसे कई उन्नत प्रश्नों का उत्तर हम खोजेंगे
ज्ञानमार्गी में क्या गुण होने चाहिए ? गुरु के लक्षण क्या हैं ? गुरु की पहचान कैसे हो ? ज्ञानमार्ग की साधना - श्रवण, मनन, नीदिद्यासन। ज्ञान से जीवन कैसे बदलता है ?