मूल्यांकन

ज्ञानमार्ग से
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यह आध्यात्मिक पथ पर स्वयं की प्रगति को जाँचने के लिए आवश्यक है। जो 'मैं हूँ' वह कभी प्रगति नहीं कर सकता, वह पहले से ही सर्वोच्च है; जो प्रगति करता वो है - यह प्राणी, यह मशीन। ज्ञानमार्ग के अनुसार इस मूल्यांकन का अधिक महत्त्व नहीं है, परन्तु अन्य मार्गों पर यह बहुत महत्वपूर्ण है-

  • अपनी त्रुटियों को ठीक करने के लिए।
  • विघ्नों को दूर करने के लिए
  • एक उपयुक्त मार्ग चुनने के लिए।
  • प्रगति की गति का पता लगाने के लिए।

अपनी प्रगति का मूल्यांकन करने से बहुत समय बच जाता है|

दूसरों का मूल्यांकन

अपनी अन्तर्निहित प्रवर्तियों के कारण हम स्वाभाविक रूप से दूसरों का मूल्यांकन हमेशा करते हैं, उदाहरण के लिए - वे कैसे दिखते हैं, क्या पहनते हैं, कैसे बात करते है, उनकी शिक्षा, वित्तीय स्थिति आदि आदि। हर बार हम ऐसा करते हैं और उत्तरजीविता के लिए यह एक महत्वपूर्ण वृत्ति है। लेकिन यह व्यवस्थित रूप से किया जा सकता है। एक बार जब हम यह जान जाते हैं कि हम कौन हैं, तो दूसरों का आकलन करना बहुत आसान हो जाता है। इस पद्धति का उपयोग दूसरों की प्रगति जाँचने के लिए किया जा सकता है, लेकिन दूसरों को प्रभावित करने के लिए इसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए| इसका प्रयोग तब तक ना करें जब तक उनकी स्वीकृती ना हो। सभी में समान क्षमता है, इसलिए भेदभाव न करें। सबको स्वीकार करें।

चेतावनियाँ

100% सही नहीं हो सकता क्योंकि चित्त की संरचना हर समय बदलती रहती है। एक व्यक्ति थोड़े समय में भी पूरी तरह से बदल सकता है। यह मनोचिकित्सा का स्थान नहीं ले सकता है। संदेह होने पर अपने गुरु से सलाह लेंवे।

माप

हम परतों की सापेक्ष गतिविधि के आधार पर प्रगति को मापते हैं। यह उपाय विवेकाधीन और व्यक्तिनिष्ठ है। हर व्यक्ति दूसरों से अलग है। यहां हम एक अद्वितीय प्रक्रिया का सामान्यीकरण करने का प्रयास कर रहे हैं। एक साधक जितना अधिक विकसित होता है, उसकी गतिविधि उतनी ही अधिक संतुलित होती है। प्रत्येक व्यक्ति की सक्रिय परतें होती हैं-निम्नतम से उच्चतम तक!

मापदंड

सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियाँ के आधार पर हम यहां निम्नलिखित मापदंडों का उपयोग कर रहे हैं:

  • व्यवहार
  • वाणी
  • विचार
  • सम्बन्ध
  • मनोरंजन
  • स्वास्थ्य

इनका अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए। नस्ल, जाति और लिंग के आधार पर निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए। अपरोक्ष अनुभव और तर्क का प्रयोग करें। व्यक्ति का अध्ययन करें, उन्हें व्यक्तिगत रूप से देखें और उनके साथ समय व्यतीत करें। परतें अनेक हैं किन्तु सुविधा की दृष्टि से इन्हें दस प्रकारों में बांटा गया है।

परतें

पशु वृत्ति

भोग वृत्ति

जाति वृत्ति

भाव वृत्ति

बौद्धिक वृत्ति

साधक वृत्ति

आध्यत्मिक वृत्ति

निवृत्ति

मुक्त चित्त

बोधिसत्व वृत्ति