Wise Words
सहज समाधी
अजय कुमार त्रिपाठी
जो सहज है सबसे सरल है वह है सहज समाधी । इससे सरल कुछ नहीं है और इससे ज्यादा शांति कहीं नहीं है यह कोई विशेष अवस्था या अनुभव नहीं है अपितु अस्तित्व की अवस्था है । यहाँ योग है । ज्ञानमार्ग पर साधकों का सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि इस अवस्था में आया कैसे जाए !! जैसा की स्पष्ट है की यह अस्तित्व की अवस्था है कोई चित्तवृत्ति नहीं जिसका की आना जाना प्रतीत हो सके,तो यह जा नहीं सकती ना आ सकती है । आपको बस यह अज्ञान हटा लेना है कि यह अभी नहीं है,अस्तित्व सदा है ऐसा नहीं हो सकता की एक पल अस्तित्व है और दूसरे ही पल नहीं । ऐसे में एक ज्ञानमार्गी साधक को क्या करना चाहिए? अनुभव यही कहता है कि ज्ञानमार्ग पर जो भी साधक पूर्ण समर्पण तथा श्रद्धा के साथ गुरु के सानिध्य में रहकर तथा उनके द्वारा दिये गये सभी निर्देशों का पालन और निर्वहन करेगा, उस साधक के अज्ञान का नाश अवश्य ही होगा । जब अज्ञान का नाश हो जाता है तो जो बच जाता है वही सरल है । सहज है, पूर्ण है । आप सदा इसी अवस्था में हैं कुछ भी करने जायेंगे या प्रयास करेंगे इसे स्थिर करने का तो वह उसी तरह है जैसे आप एक दिये के प्रकाश को स्वयं ढककर प्रकाश ढूंढने का प्रयास करते हों । अज्ञान के नाश से बुद्धि शुद्ध होगी तथा उसका समर्पण होगा और जो शुद्ध है सहज है वह स्वतः प्रकाशित होगा । वही 'सबकुछ है' और 'कुछ भी नहीं' । ध्यान दें यह आप स्वतः नहीं कर सकते,गुरु के मार्गदर्शन के बिना आपको पता भी नहीं चलेगा और अज्ञान बचा रह जायेगा ।
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