Wise Words
बोधि वार्ता से
जानकी
<br><br> <div class="ui image"> <img width="500px" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEh5oQy9ZPX89VePMaDEzNTHBbCRkuT2O8O8mQO7olkZX7UKbQVwXFpRhV4U88aUn_w7juyo88u2E-Q1sgcRvJB4BDgonZCbwR3IvlfL9Qb80NvVe2287Pc4vB_yJz8S_nnV4nxj-EEdL4QOF-CKWDE1Avju0td9-xPpQJ8ZOHzHI2KZrstP1mNZGnuo-WM" alt="Any Width"> </div> <br><br> सीधा ज्ञानमार्ग, अभी होगा ज्ञान। मान्यता का विनाशक, सत्य पहचान॥ मूलज्ञान से, बोधि वार्ता से।२ त्रिज्ञान, मुक्ति, आनन्द बिना शर्त में॥२ मोह, आसक्ति, मिथ्या काया से। तत्व जाना छांया से, सत्य माया से॥ आत्मज्ञान से, बोधि वार्ता से।२ द्रष्टा बनो दृश्य से, ब्रम्ह कर्ता से॥२ सृष्टि, पालना, विनाश का खेल। कर्ता, धर्ता, हर्ता का माया से है मेल॥ मायाज्ञान से, बोधि वार्ता से।२ कर्म-चक्र कर्ता है, चित्त धर्ता है॥२ काल कल्पना, स्थान प्रतीति। मैं ही नित्य शाश्वत हूँ, बाक़ी अतिथि॥ होगा पूरा ज्ञान बोधिस्रष्टा से।२ आना जाना अनित्य, नित्य द्रष्टा है॥२ ये चक्रीय खेल नित्य स्वचालित। धराशायी मान्यता, कर्ता प्रचलित॥ संकेत गुरु का, सत्संग वार्ता से।२ मुक्ति मिला अभी से, यहीं स्वर्ग है॥ ***
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