Wise Words
मूल से प्रकट
जानकी
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुर्साक्षात परब्रम्ह तस्मै श्री गुरवे नमः <br><br> <div class="ui image"> <img width="500px" src="https://media.istockphoto.com/id/2151053366/vector/guru-purnima-calligraphy-hand-lettering.jpg?s=1024x1024&w=is&k=20&c=z9AIR8Zy5BhsO9ClbExE5tKuJpNgVNb6Thk2cKG5Cis=" alt="Any Width"> </div> <br><br> सद्गुरु तो नहीं है जगते के मनुष्य। गुरुक्षेत्र या ब्रम्ह होंगे अवश्य॥ वो वाणी, हँसी, ज्ञान प्रकट हैं वहाँ से। विशुद्ध वो द्रष्टा वो स्रष्टा जहाँ है॥ मेरी तो सदा है ये इच्छा, तमन्ना? स्वयं को, लीला को, ये ब्रह्म को जानना॥२ सदा ज्ञानगंगा बरसती कहाँ से? परम सत्य का द्वार खुलता जहाँ से॥ सभी सत्य जानें यही है तमन्ना। जो मूल ब्रह्म का है वही ज्ञान बनना॥२ पवित्र ये वाणी ध्वनित है कहाँ से। ये नादब्रम्ह, ॐकार गुंजन जहाँ है॥ सुनें दिव्य वाणी ये मेरी तमन्ना। जो स्वर ब्रह्म का है वही वाणी बनना॥२ झ-झंकृत हँसी खिलखिलाती कहाँ से? देदीप्य प्रकृति प्रकट है जहाँ से॥ वो झंकार समझें ये दिल की तमन्ना। हँसी सृष्टि का जो वो संगीत बनना॥२ निःस्वार्थ जगतप्रेम उमड़ता कहाँ से? जो आनंद सागर स्वयं है वहाँ से॥ सभी को मिले तृप्ति मेरी तमन्ना। जो मूल ब्रह्म का है वही प्रेम बनना॥२ *** सद्गुरु के प्रति सादर समर्पित।
Share This Article
Like This Article
© Gyanmarg 2024
V 1.2
Privacy Policy
Cookie Policy
Powered by Semantic UI
Disclaimer
Terms & Conditions