Wise Words
️बगुला -- हंस और परमहंस ️
निशिगंधा क्षीरसागर
दोनों श्वेत-- हंस और बगुला हंस बनू -- नहीं मैं बगुला मोह ममता --- मीन संसारी दृष्टी बगुले कीं साधना ---बनाये कष्टी हटाकर मिथ्या --- संसारी देह दृष्टी द्वैत मिट जाय --- ज्ञानी कीं दृष्टी भेद मिटे एक --- सब व्यष्टी समष्टी एक हो जाय --- पानी और मछली..... ll 1ll कुछ ना पाना --- कुछ ना खोना ज्ञान अज्ञान सें --- सारं को चुनना सिखे हंस सें --- विवेक करना नीर और क्षीर में --- दुग्धहि चुनना मिथ्या दृश्य को --- असार है जानना नाते संबंधी असार ---- वस्तू इच्छा वासना नश्वर दृश्य जगत में --- सत्य को जानना दोनों श्वेत --- हंस और बगुला हंस बनू -- नहीं मैं बगुला .....ll 2 ll दोनों सफेद --- हंस और बगुला एक विरला --- दुजा सेहज फसा माया के जाल --- जैसे मीन फसा गले में काटा --- मिथ्या का फसा काटे सें निकालने काटा... मिथ्या सें हटाने मिथ्या... मिथ्या देह धारण किया... हंस स्वरूप हूं --- नही मैं बगुला सफेद दोनों पर--- भेद वृत्ती का इस अज्ञानवृत्ती सें --- उपर उठा भेद कीं दृष्टी --- और अज्ञान हटा मिथ्या संसार में --- जीव है फंसा संसार के तालाब --- बनू मैं हंस माया के किचड --- सें खिले कमल उसी में रहकर --- त्यागकर मल रहकर द्वैत में --- खोजू तत्व नि:सत्व को छोडकर --- चुनलू सत्व मिथ्यात्व छोड-- सत्य को पकड दोनों श्वेत --- बगुला और हंस बगुला नहीं --- मैं हूं हंस .....ll 3 ll ज्ञान गुहय --- गुहा के अंदर दाना छिपा --- छिलके के अंदर असार ढँका --- सारं है अंदर मुठ्ठी न छोडे --- कैद है बंदर छोड दे मुठ्ठी --- सब कुछ त्यागकर कुछ ना तेरा --- जाना बहकर संसार हटादे --- अज्ञान कीं आंधियारी पूरब सें उजले -- ज्ञान कीं हरियाली साक्षीभाव को साधकर --- खिले कली ज्ञान कीं कली -- प्रकाश सें खिली छोड तमस वृत्ती --- कौरव कंस भेद मिटाकर --- अज्ञानता का ध्वंस बगुला बंदर सिखलाते --- सारे वृत्तीदंश सत्वगुण को बढाकर --- बन जाऊ हंस अद्वैत कीं दृष्टी सें --- अब परमहंस गुरुकृपा जो बरसी --- सरस सुरस दूध का दूध --- पानी का पानी लोभ मोह कीं --- त्यागकर मछली बगुला भी --- बन जाय दिव्यहंस एकता कीं दिव्यता --- सें अब परमहंस दोनों श्वेत ---- बगुला और हंस बगुला नहीं --- मैं हूं हंस ज्ञान सारं --- दुग्ध को पाकर दो नहीं अब -- साधकर अद्वैत परमशान्ति सुख प्रेम --- और परमानंद बगुला नहीं अब --- मैं हूं हंस क्यूँ न बन जाऊ मैं परमहंस?? क्यूँ न बन जाऊ मैं परमहंस??.....ll 4 ll
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