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शिक्षा का सत्यापन
तरुण प्रधान
*यह लेख ज्ञानदीक्षा कार्यक्रम के चरण ३ के साधकों के लिए है।* [ज्ञानदीक्षा कार्यक्रम](https://gyanmarg.guru/eok) ज्ञानमार्ग के साधकों के लिए एक व्यवस्थित कार्यक्रम है। चरण २ के पश्चात, जो शिक्षा को सुनने और लेख लिखने से संबंधित है, चरण ३ आता है, जो शिक्षा के सत्यापन के बारे में है। अक्सर छात्र भ्रमित होते हैं कि इसे सही तरीके से कैसे करें, इसलिए यहाँ कुछ दिशानिर्देश दिए गए हैं। हालाँकि, इन शिक्षाओं को किसी अन्य तरीके से भी सत्यापित करने के लिए आप स्वतंत्र हैं। **सत्यापन क्यों करें?** क्या ज्ञानमार्ग की शिक्षा पहले से ही सत्य नहीं है? यदि नहीं, तो इसे सिखाया ही क्यों जा रहा है? यह एक प्रारंभिक शंका हो सकती है। कारण यह है कि अधिकतर लोगो को जीवन में कभी भी किसी चीज़ को सत्यापित करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाताचाहे वह विद्यालयी शिक्षा हो, समाचार, विज्ञापनों के दावे या अन्य कोई बात। यह सब मानसिक मतारोपण है, और अधिकांश लोग इसी कारण ज्ञानमार्ग की शिक्षा को भी सत्य मान लेते हैं। कुछ लोग बिना सत्यापन के ही इन्हें अस्वीकार कर देते हैं, शायद क्योंकि यह उनकी पूर्व धारणाओं से मेल नहीं खाता। दोनों ही स्थितियों में कोई प्रगति नहीं होती। यदि शिक्षा पर केवल विश्वास कर लिया जाए, तो वो निष्प्रभावी रहेगीयह अज्ञान मात्र है, एक अंधविश्वास। यह आपका स्वयं का ज्ञान नहीं होगा। यदि कोई पेचीदा प्रश्न पूछा जाए, तो आप उत्तर नहीं दे पाएँगे और शिक्षा पर संदेह करने लगेंगे या पूरे मार्ग को ही अस्वीकार कर देंगे। कोई भी अंधविश्वास संदेहास्पद और निष्प्रभावी रहता है। आप केवल उसी पर विश्वास कर सकते हैं जो आपका स्वयं का ज्ञान है। इसलिए प्रत्येक साधक को सत्य के दावों की जाँच करनी चाहिए। यह साधक के अपरोक्ष अनुभव और स्वयं की बुद्धि द्वारा किया जाता है। **कैसे सत्यापित करें?** सरल है: जाँचें कि क्या सब कुछ आपके अपरोक्ष अनुभव और तर्क के अनुसार है। यदि नहीं, तो सब मिथ्यावचन है। ज्ञानमार्ग अत्यंत व्यवस्थित हैयदि एक वाक्य भी मिथ्या सिद्ध हो, तो पूरा मार्ग मिथ्या साबित हो जाता है, जैसे गणित में कोई प्रमेय सिद्ध करते समय। इसे "मिथ्याकरण" भी कहते हैं। **प्रारंभिक चरण** मुख्य परिभाषाओं को सत्यापित करने से आरंभ करें। महत्वपूर्ण शब्दों को चुनें और जाँचें कि उनकी परिभाषाएँ वास्तव में आपके अनुभव के अनुरूप हैं। क्या ये काल्पनिक हैं? क्या ये कोई सिद्धांत मात्र हैं? आदि। याद रखें: मात्र शब्द सुनना ज्ञान नहीं हैं। आपको उनके अर्थ प्रत्यक्ष अनुभव से जानने होंगे। यह भी जाँचें कि क्या अर्थ बदलते रहते हैं या अतार्किक लगते हैं? ध्यान दें कि कभी-कभी एक शब्द के कई पर्याय हो सकते हैं। उदाहरण: माया, असत्य, प्रतीति, दृश्यये सभी "अनित्य" या "परिवर्तनशील" के समानार्थी हैं। जाँचें कि क्या शिक्षण केवल किसी पुस्तक की नकल है, जादू-टोना सिखाता है, या आपको अंधविश्वास करने के लिए बाध्य करता है। यह भी देखें कि कहीं कोई गुप्त उद्देश्य तो नहीं, जैसेक्या यह आपको बहलाकर किसी गुट में फसांने का प्रयास है? अब हम प्रत्येक पाठ में किन महत्वपूर्ण शिक्षाओं को सत्यापित करना है यह देखते हैं। १. **ज्ञानमार्ग: मूलज्ञान** यहाँ आपको मुख्य परिभाषाएँ मिलेंगी, जैसेअस्तित्व, अनुभवकर्ता, अनुभव आदि। शेष कार्यक्रम की सामान्य जानकारी है। अंतिम निष्कर्ष आरंभ में ही बता दिया गया है, और पूरा कार्यक्रम उसी का सत्यापन है। २. **ज्ञानमार्ग: परिचय** यह ज्ञानमार्ग का परिचय मात्र है। सत्यापन के लिए कुछ विशेष नहीं। ३. **ज्ञानमार्ग: साधक के गुण** यहाँ सत्यापन के लिए कुछ विशेष नहीं। यह मुख्य शिक्षण नहीं है, बल्कि गुरुओं के अनुभवों का सार हैहज़ारों वर्षों के अनुभव पर आधारित। ४. **ज्ञानमार्ग: ज्ञान** यहाँ सत्यापित करने के लिए मुख्य परिभाषा "ज्ञान" की ही है। देखें कि क्या यह परिभाषा आपके अनुभव के अनुसार सत्य है। शब्दकोश या अन्य पुस्तकों से तुलना न करें। अपने अनुभव को जाँचें: क्या वास्तव में ऐसा कुछ है जिसे "ज्ञान" कहा जा सकता है? इसके बाद ज्ञान के प्रकारों को जाँचें: क्या वे वास्तव में विद्यमान हैं? शेष सामान्य जानकारी है। ५. **ज्ञानमार्ग: ज्ञान के साधन** जाँचें कि क्या दावा किए गए साधन वास्तव में विश्वसनीय हैं। यदि नहीं, तो पूरा मार्ग असत्यापित हो जाता है। फिर आप कार्यक्रम छोड़ सकते हैं। यह भी जाँचें कि प्रश्नों के प्रकार और उनके अपेक्षित उत्तर की शिक्षा तार्किक है या नहीं। ६. **ज्ञानमार्ग: सूचना और अज्ञान के साधन** यहाँ सत्यापन के लिए कुछ नहीं। यह पाठ सामान्य जानकारी है। फिर भी, आप जाँच सकते हैं कि यह तर्कसंगत है या नहीं। ७. **ज्ञानमार्ग: सत्य** / ८. **ज्ञानमार्ग: तत्व** अपने प्रत्यक्ष अनुभव और तर्क से जाँचें कि यहाँ दिए गए मापदंड वैध और न्यायसंगत हैं। क्या तर्क और औचित्य सही हैं? यदि नहीं, तो पूरा मार्ग मिथ्या है। आगे सत्यापन की आवश्यकता नहीं। ९. **ज्ञानमार्ग: अज्ञान** यह पाठ सामान्य जानकारी है। १०. **ज्ञानमार्ग: अज्ञेयवाद** यह पाठ ज्ञानमार्ग के अंतिम परिणाम पर चर्चा करता है। यह कोई दावा नहीं, बल्कि पूर्व साधकों का सामान्य निरीक्षण है। ११. **अस्तित्व: मूल विश्लेषण** / १२. **अस्तित्व: उन्नत विश्लेषण** सात प्रश्नों के उत्तर अपने अनुभव से जाँचें। प्रयुक्त तर्क की वैधता को दोबारा सत्यापित करें। १३. **अनुभवकर्ता: मूल विश्लेषण** / १४. **अनुभवकर्ता: उन्नत विश्लेषण** ११/१२ के समान। १५. **अनुभवकर्ता: आत्मज्ञान** यहाँ मुख्य शिक्षा आपके सत्य स्वरूप की ओर संकेत करती है। इसे पूरी तरह सत्यापित करें: क्या आप शरीर या कोई अन्य अनुभव हैं? सदैव दोबारा जाँचें। १६. **अनुभवकर्ता: साक्षीभाव** यह एक साधना का विवरण है। चूँकि सभी साधनाएँ वैकल्पिक हैं और माया के क्षेत्र में आती हैं, यहाँ सत्यापन के लिए कुछ नहीं। यह व्यावहारिक विषय है। १७. **अनुभव: मूल विश्लेषण** / १८. **अनुभव: उन्नत विश्लेषण** ११/१२ के समान। १९. **अनुभवक्रिया: ब्रह्मज्ञान** जाँचें कि क्या वास्तव में दो हैं। सत्यापित करें कि एक को अनुभव के रूप में नहीं जाना जा सकता। इस पाठ में दिए गए सभी निरीक्षणों और तार्किक निष्कर्षों को जाँचें। २०. **ज्ञानमार्ग: साधना** यह पारंपरिक विधि के बारे में है, सत्यापन के लिए कुछ नहीं। **यदि कुछ सत्यापित न हो तो क्या करें?** पूरा प्रयास करें। देखें कि कहीं आपसे कोई भूल तो नहीं हुई। प्रत्येक पाठ के बारे में प्रश्न लिखें और साप्ताहिक बैठकों में पूछें। आपका गुरु आपके अनुभव की ओर संकेत करेगा, जिससे समस्या सुलझ सकती है। ध्यान दें: गुरु और अधिक नहीं सिखाएँगे या अपने उत्तर को मानने के लिए नहीं कहेंगे। वे केवल संकेत देंगे, उसे अपने अनुभव में देखें। कभी-कभी गुरु आपकी तार्किक गलती या धारणा बताएँगे, जिसे आपको पुनः जाँचना चाहिए। **यदि अंत तक सत्यापित न हो तो?** यदि गुरु के उत्तरों से संतुष्ट नहीं हैं, तो कार्यक्रम छोड़ देना उत्तम है। अन्य विकल्प: - कोई अन्य गुरु ढूँढें। - पुस्तकों/इंटरनेट से उत्तर प्राप्त करने का प्रयास करें। - कोई अन्य मार्ग अपनाएँ। **क्या न करें?** - यदि सत्यापित नहीं कर सकते, तो अंधविश्वास न करें। - बिना सत्यापन के अस्वीकार भी न करें। - शब्दों की काल्पनिक परिभाषाएँ न गढ़ें। - यदि समझ नहीं आया तो रटें नहीं। रटंत विद्या निरर्थक है। - अन्य साधकों या लोगों से अपनी शंकाएँ न पूछें, वे हमेशा उत्तर नहीं जानते या गलत मार्गदर्शन कर सकते हैं। वरिष्ठ साधकों से पूछ सकते हैं। - आसानी से हार न मानें। याद रखें: ये शिक्षण हज़ारों वर्षों से सत्यापित होते आए हैं। - सत्यापन प्रक्रिया में जल्दबाज़ी न करें। सामान्यतः यह एक सप्ताह में हो सकता है, पर यदि व्यस्त हैं तो अधिक समय माँगें। - बिना सत्यापन के कोई साधना आरंभ न करेंयह निरर्थक है और विफल होगी। - अन्य मार्गों को मिलाएँ नहीं। प्रत्येक के शिक्षण अद्वितीय हैं। तुलना करके आँकें नहीं। - किसी ने क्या कहा, इसकी चिंता न करें, सदैव अपने अनुभव को जाँचें। - गुरु से वादविवाद न करें। यदि उत्तर न मिले, तो कार्यक्रम छोड़ देना या अन्य गुरु ढूँढना उत्तम है। यदि आपके अनुभव में यह मिथ्या है, तो कोई गुरु वैसे भी सहायता नहीं कर सकता। - सामान्य कथनों (जैसे - अज्ञान का कारण क्या है, कौन-सी साधना अच्छी है) पर ध्यान न दें। मुख्य शिक्षणों को सत्यापित करें। **असत्यापित शिक्षा के लक्षण** आनंद या रुचि नहीं होगी। साधना विफल होगी। साधक सरल प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाएगा। उसे पेचीदा, घुमावदार प्रश्नों या काल्पनिक तर्कों से भ्रमित किया जा सकता है। वह अन्य मार्गों की ओर आकर्षित होगा। बैठकों में रुचि खो देगा या मौखिक परीक्षा से डरने लगेगा। मार्ग या गुरु पर संदेह करेगा। शिक्षणों को अपनी पूर्व धारणाओं के अनुरूप ढालने का प्रयास करेगा। कभी-कभी साधक कहेगा कि उसने सत्यापित कर लिया है, पर पूछे जाने पर सत्य के प्रमाण नहीं दे पाएगा। और भी लक्षण हो सकते हैं। **निष्कर्ष** सत्यापन इस कार्यक्रम और ज्ञानमार्ग का अति महत्वपूर्ण अंग है। यह अज्ञान से वास्तव में मुक्ति दिलाता है। परंपरागत रूप से इसे "मनन" कहा जाता है यह एक कला है, जिसे सीखना होता है। समझें कि यह पूरा कार्यक्रम मनन ही है। सत्यापन सीखें और अपने अज्ञान को सदा के लिए नष्ट कर दें। आशा है, यह संक्षिप्त मार्गदर्शिका ज्ञान के उत्सुक साधकों के लिए सहायक होगी।
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