प्रश्नों का संकलन

ज्ञानमार्ग से
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ज्ञानमार्ग दीक्षा कार्यक्रम के चरण ३ में पूछे गए प्रश्नों का संकलन।

ज्ञानदीक्षा कार्यक्रम की परीक्षा की कड़ियाँ

अश्विन

  • 1- ज्ञानमार्ग क्या है ? इसका लक्ष्य क्या है ?
  • 2- ज्ञान का क्या अर्थ है ?
  • 3- सत्य के मानदंड क्या हैं, और वही क्यों है ?
  • 4- यदि ज्ञान अनुभव आधारित है और अनुभव मिथ्या है तो क्या वो ज्ञान है ?
  • 5- अनुभवकर्ता और अस्तित्व में सम्बन्ध दिखाइये।
  • 6- मेरा मूल तत्व क्या है ? यदि अनुभव और अनुभवकर्ता एक हैं तो मूल तत्व अनुभव क्यों नहीं ?
  • 7- कितने अनुभवकर्ता हैं ? कैसे स्थापित करेंगे?
  • 8- बुद्धि की क्या सीमा है ?
  • 9- माया का क्या कारण है ?
  • 10- मृत्यु सत्य है या असत्य ?
  • 11- सूक्ष्मावस्था और जागृतावस्था में क्या फर्क है ?
  • 12- अज्ञानी को गुरु से क्या मिलता है ?


वैदेही

  • १- यदि ज्ञान चित्त में संग्रहित है और चित्त मिथ्या है तो क्या ज्ञान भी मिथ्या है?
  • २- पुस्तकें और गुरु ज्ञान के साधन क्यों नहीं ? फिर उनका क्या उपयोग है?
  • ३- अनुभवक्रिया का अनुभव किसे होता है?
  • ४- अनुभवकर्ता का ज्ञान कैसे संभव है , यदि वो निर्गुण है?
  • ५- समय मिथ्या कैसे है? समय का अनुभव किसको होता है?
  • ६- क्या अनुभव सीमित है?
  • ७- परत की परिभाषा क्या है ?चित्त में कितनी परतें हैं ?
  • ८- सबसे निचली और सबसे ऊपर की परत कौन सी है ?
  • ९- क्या आत्मरक्षा के लिए की गयी हिंसा अनैतिक है?
  • १०- ब्रह्मज्ञान क्या है ? किसका ज्ञान होता है ?

पवन

  • १- व्यक्ति को ज्ञानमार्ग पर क्या मिलता है ?
  • २- साधक का सबसे महत्वपूर्ण गुण क्या है ? आपमें किन गुणों का आभाव है और किनका अच्छा विकास हुआ है?
  • ३- क्या सत्य जानना संभव है?
  • ४- आत्मज्ञान किसे होता है?
  • ५- यदि सब शून्य है तो अस्तित्व पूर्ण कैसे है?
  • ६- अनुभवकर्ता वस्तुओं या चित्त के संपर्क में कैसे आता है ताकि उनका अनुभव हो सके?
  • ७- वो क्या है जिसका अनुभव नहीं हो सकता ?
  • ८- क्या नाद रुक सकता है ? क्यों?
  • ९- जगत को स्वप्न क्यों कहा गया है?
  • १०- जीव मिथ्या है या ब्रह्म है?

कुंवर सिंह

  • 1. ज्ञान की परिभाषा क्या है?
  • 2. सत्य के कितने प्रकार हैं? असली सत्य कौन सा है?
  • 3. ज्ञान का अधिकारी कौन है?
  • 4. अनुभव के आभाव में अनुभवकर्ता की क्या स्थिति होगी?
  • 5. चित्त स्थायित्व का निर्माण कैसे करता है?
  • 6. चित्त की परतों की रचना की क्या प्रक्रिया है?
  • 7. चित्त में क्या सत्य है क्या असत्य?
  • 8. आत्मज्ञान क्या है?
  • 9. आत्मज्ञान के बाद जगत शरीर और मन के अनुभवों में क्या परिवर्तन आता है?
  • 10. यदि अनुभवकर्ता और अनुभव एक हैं तो क्या शरीर भी मैं हूँ?

मुमताज़ अंसारी

  • 1. ज्ञानमार्ग पर चलकर क्या ज्ञान मिलता है?
  • 2. यदि अस्तित्व बुद्धि के परे है तो ज्ञानमार्ग में बुद्धि कैसे उपयोगी है?
  • 3. अज्ञान का सबसे बड़ा कारण क्या है?
  • 4. सत्य के मानदंड क्या हैं और वही क्यों चुने गये हैं?
  • 5. चेतना और अनुभवकर्ता में क्या भेद है?
  • 6. सबसे बड़ा अज्ञान क्या है?
  • 7. क्या करने से चेतना आती है?
  • 8. यदि मैं शरीरादि हूँ ये अज्ञान है तो वो व्यक्ति अनुभवकर्ता किस विधि से बन सकता है?
  • 9. क्या सुन्दरता सत्य है? इसका अनुभव क्यों होता है और इसका क्या उपयोग है?
  • 10. यदि मैं ही अस्तित्व हूँ तो सीमित कैसे हो गया?

तनवीर

  • 1. ज्ञानमार्ग और अन्य मार्गों में क्या भेद है ?
  • 2. किन पुस्तकों में सबसे अधिक ज्ञान है ?
  • 3. साधक के गुण होना अधिक आवश्यक है या अच्छा गुरु होना ?
  • 4. परिवर्तन का क्या अर्थ है ? क्यों होता है ? होता है तो असत्य क्यों माना गया?
  • 5. यदि अनुभवकर्ता असीमित है तो उसको होने वाले अनुभव सिमित क्यों है ?
  • 6. आपका जन्म होने से पहले आप क्या थे ?
  • 7. नाद का प्रमाण बताईये।
  • 8. अस्तित्व में क्या है ?
  • 9. जीव ब्रह्म कैसे बन सकता है ?
  • 10. मुक्ति क्या है ? क्या मुक्ति में सुख है ?


मीनाक्षी

  • १. अज्ञान का कारण क्या है ?
  • २. प्रमाण और सत्य में क्या भेद है ? क्या प्रमाण असत्य हो सकता है ?
  • ३. क्या अनुभवक्रिया सत्य है या प्रतीत होती है ?
  • ४. यदि सम्पूर्ण अस्तित्व मैं हूँ तो ये शरीर मैं क्यों नहीं?
  • ५. अनुभवकर्ता में कौन से गुण है ?
  • ६. नाद क्या है ?
  • ७. अनुभव कितने प्रकार के हैं ?
  • ८. सुख क्या करने से मिलता है ?
  • ९. मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है ?
  • १०. साधक का जीवन कैसा हो ? आत्मज्ञान के बाद क्या करना सबसे आवश्यक है ?


सोनम

  • १. ज्ञान कैसे होता है ?
  • २. बुद्धि की क्या सीमा है ?
  • ३. तर्क का आधार क्या होना चाहिए?
  • ४. अस्तित्व को शून्य क्यों कहा गया है ?
  • ५. अनुभवकर्ता का जन्म नहीं हुआ पर ये कैसे जान सकते हैं कि उसकी मृत्यु नहीं होगी?
  • ६. समय माया कैसे है ?
  • ७. अनुभव से आसक्ति क्यों हो जाती है जबकि न वो मेरे हैं न मैं , न वो रहते हैं ?
  • ८. दूसरों के साथ हमारा व्यव्हार कैसा होना चाहिए?
  • ९. सुंदरता और नैतिकता व्यक्तिनिष्ठ कैसे हो सकती है , जबकि व्यक्ति का उसमे कोई योगदान नहीं है ?
  • १०. पहले चित्त शुद्धि करना अच्छा है या ज्ञान लेना ?


जय

  • १. ज्ञानमार्ग का अंत किस अवस्था पर पहुंचकर होता है ? कैसे जाने कि अंत हो गया है?
  • २. शास्त्र ज्ञान का साधन क्यों नहीं हैं? क्या शास्त्र परिवर्तनशील हैं?
  • ३. यदि अस्तित्व शून्य है तो क्या वो सत्य है ?
  • ४. अनुभव किस कारण से होते हैं?
  • ५. अनुभवक्रिया की अवस्था में आने की क्या विधि है?
  • ६. आत्मज्ञान किसको होता है ? ये होने के बाद अहम् का क्या होता है?
  • ७. चित्त क्या है?
  • ८. चित्त परतों में कैसे बन जाता है ?
  • ९. चित्त के नियमों के ऊपर कैसे उठे ? कोई २ उदाहरण दीजिये।
  • १०. नैतिक क्या है और सुन्दर क्या है ?कौन सा कर्म उचित है?

पद्मजा

  • १. अपरोक्ष अनुभव का क्या अर्थ है? प्रमाण किसे कहते हैं ?
  • २. ज्ञानमार्गी के मुख्य गुण कौन से हैं ?
  • ३. गुरु का क्या महत्व है?
  • ४. सत्य क्या होना चाहिए कौन निर्णय लेता है?
  • ५. अनुभव कितने हैं और उनके अनुभवकर्ता कितने हैं?
  • ६. आनंद और अनुभवकर्ता में क्या भेद है?
  • ७. स्मृति क्या है?
  • ८. आपकी और मेरी स्मृति एक क्यों नहीं?
  • ९. सुंदरता का मानदंड क्या है?
  • १०. मुक्ति कैसे होती है?

हलधर कुमार

  • १. ज्ञानमार्ग पर चलकर क्या ज्ञान मिलता है?
  • २. सत्य के मानदंड किस आधार पर रखे गए हैं? उनका औचित्य क्या है?
  • ३. गुरु से ज्ञान कैसे लिया जा सकता है ?
  • ४. आत्मा और परमात्मा में क्या भेद है?
  • ५. अनुभवकर्ता किस बंधन में है ?
  • ६. क्या सभी अनुभव पूर्वनिर्धारित हैं?
  • ७. नाद कितनी अवस्थाओं का परिवर्तन है?
  • ८. रचना कैसे होती है?
  • ९. मनुष्य का चरित्र कैसा होना चाहिए?
  • १०. ब्रह्म कौन से कर्म करता है? सृजन और प्रलय कौन करता है?

शुभम

  • १. ज्ञानी की पहचान कैसे होती है?
  • २. संदेह का गुण शिष्य में होना क्या उचित है?
  • ३. परम स्तर पर सत्य असत्य है नहीं , फिर इसको इतना महत्व क्यों दिया जाता है?
  • ४. ज्ञानमार्ग में अज्ञान का नाश किस विधि से होता है?
  • ५. आपका तत्व क्या है ? यही क्यों है?
  • ६. अनुभवकर्ता ने इतने रूप क्यों और कैसे धरे हैं?
  • ७. सभी अनुभव स्मृति के अनुभव हैं। कैसे?
  • ८. क्या चित्त की परतें और चित्तवृत्ति सभी व्यक्तिओं में भिन्न होती है?
  • ९. क्या मृत्यु के बाद शून्यता होगी?
  • १०. सहज समाधी की अवस्था कैसे प्राप्त की जा सकती है ?

रिहाना

  • १. अज्ञान क्या है और क्यों होता है ?
  • २. यदि सभी अनुभव मिथ्या हैं तो जीवन कैसे संभव है?
  • ३. यदि अनुभवकर्ता का अनुभव नहीं होता, न उसे जाना जा सकता है तो वो सत्य कैसे है?
  • ४. एकता/अद्वैत और अनुभवक्रिया में क्या फर्क है?
  • ५. अनुभव कितने प्रकार के हैं?
  • ६. चित्त क्या है?
  • ७. चित्त को स्वयं का अनुभव कैसे होता है?
  • ८. नैतिकता का ज्ञानमार्ग में क्या अर्थ है?
  • ९. क्या सभी कर्म सुन्दर और पूर्ण हैं?
  • १०. मैं अस्तित्व (ब्रह्म) हूँ या अनुभवकर्ता (आत्म) हूँ?


शिफाली

  • १ - ज्ञान और विज्ञान में क्या फर्क है?
  • २ - गुरु कौन सा ज्ञान दे सकते हैं?
  • ३ - क्या जो शास्त्रों में लिखा हुआ है वो सत्य है?
  • ४ - अनुभवकर्ता का अनुभव कैसा होता है?
  • ५ - अनुभवकर्ता में कौन से गुण हैं ?
  • ६ - यदि सभी अनुभव परिवर्तनशील हैं तो वस्तुएं स्थायी क्यों लगती हैं?
  • ७ - नाद किसमें हो रहा है ?
  • ८ - सबकुछ पूर्ण या सुन्दर कैसे हो सकता है?
  • ९ - व्यक्ति ब्रह्म कैसे बन सकता है ? इसकी क्या विधि है?
  • १० - यदि मैं ब्रह्म हूँ तो फिर आप और दूसरे जन क्या हैं?

पाडवेकर

  • १ - ज्ञानमार्ग को सीधा मार्ग या मार्गहीन मार्ग क्यों कहते हैं ?
  • २ - ज्ञान कितने प्रकार का है?
  • ३ - जानने योग्य क्या है ?
  • ४ - माया क्या है?
  • ५ - अनुभवकर्ता अमर कैसे है?
  • ६ - क्या परिवर्तन सत्य है या ये भी भ्रम है?
  • ७ - सबसे छोटा परिवर्तन कौन सा है ? इसको क्या कहते हैं?
  • ८ - यदि जगत और जीव मिथ्या हैं तो जीवित रहने का क्या लाभ है?
  • ९ - ब्रह्म का विलय कब होगा?
  • १० - अस्तित्व और मैं , इन दोनों में क्या संबंध है ?

तबस्सुम

  • १ - अज्ञान के सोत्र कौन से हैं?
  • २ - ज्ञान के सभी साधन अनुभव आधारित कैसे हैं?
  • ३ - कौन से अनुभव सत्य हैं?
  • ४ - क्या है जो अपरिवर्तनीय है?
  • ५ - आत्मज्ञान किसे होता है?
  • ६ - साक्षीभाव में कैसे रहें?
  • ७ - आत्मन से ब्रह्मन किस विधि से बना जा सकता है?
  • ८ - विकासक्रम में अनुभवकर्ता क्या भूमिका निभाता है?
  • ९ - चित्त की परतें किस प्रक्रिया से बनती हैं और किस तत्व से बनती हैं ?
  • १० - प्रेम की क्या परिभाषा है? क्या घृणा नैतिक है?

प्रज्ञा

  • १. अबोध और अज्ञानी में क्या फर्क है?
  • २. ज्ञानमार्ग में अशुद्ध भाषा का क्या प्रभाव होता है?
  • ३. यदि सत्य व्यक्ति और संदर्भ के साथ बदलता है तो वो सत्य कैसे हुआ?
  • ४. कौन सा विशेष अनुभव आत्मज्ञान के लिए अति आवश्यक है?
  • ५. यदि मैं ब्रह्म हूँ तो मनुष्य रूप मैं क्यों दीखता हूँ?
  • ६. शरीर क्या है?
  • ७. अहम क्या है और उसका क्या कार्य है?
  • ८. कौन से लोक में ज्ञान मिलता है?
  • ९. क्या इच्छापूर्ति नैतिक है?
  • १०. सुख और मुक्ति कहाँ और कैसे मिलते हैं?

मीरा

  • १. ज्ञानमार्ग में समर्पण का क्या महत्त्व है? क्या समर्पित करना चाहिए और किसको समर्पित करना चाहिए?
  • २. सत्य के सन्दर्भ कौन से हैं ? अद्वैत का मानदंड कौन से सन्दर्भ में उपयोगी है?
  • ३. अनुभवक्रिया क्या है? अस्तित्व से कैसे भिन्न है?
  • ४. अहम् और अनुभवकर्ता में क्या सम्बन्ध है?
  • ५. अनुभवकर्ता में परिवर्तन कैसे होता है?
  • ६. नाद, स्मृति और अनुभव , इनको परिभाषित कीजिये।
  • ७. तर्क के आधार पर अनुभव कैसे असत्य सिद्ध होता है?
  • ८. सुखमय जीवन के लिए कौन से के कर्म करना चाहिए?
  • ९. मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है और वही क्यों निर्धारित किया गया है?
  • १०. मैं ही सम्पूर्ण अस्तित्व हूँ - इसका प्रमाण क्या है?

अनिल

  • १. ज्ञान के कितने प्रकार हैं?
  • २. प्रमाण क्या हैं? उनका सार क्या आता है?
  • ३. सत्य के क्या लक्षण हैं?
  • ४. अनुभवकर्ता का अनुभव भी संभव नहीं फिर वो सत्य कैसे हुआ?
  • ५. अनुभव की उत्पत्ति की प्रक्रिया समझाइये।
  • ६. आकाश या खाली स्थान का अनुभव नहीं बदलता , तो क्या वो सत्य है?
  • ७. शरीर के किस भाग में अनुभवकर्ता का वास है और मृत्यु के बाद वो कहाँ जाता है?
  • ८. एकता या अनुभवक्रिया का अनुभव कैसे हो?
  • ९. क्या ज्ञानी को समाधीरत रहना चाहिए या वासनापूर्ति में लिप्त होना चाहिए या सरल प्राकृतिक जीवन बिताना चाहिए ?
  • १०. सुख विषयों में नहीं मिलता , किन्तु सबकुछ त्यागने से भी नहीं मिलता, तो फिर सुख कैसे मिले?

अनीता

  • १. संसार अज्ञान का कारण है। अपने विचार बताएं।
  • २. ज्ञान चित्त में है और चित्त माया है , तो क्या ज्ञान भी माया है?
  • ३. सत्य अधिक महत्वपूर्ण है या अज्ञान का अंत?
  • ४. अनुभवकर्ता का तत्व क्या है?
  • ५. दृष्टा और दृष्टी में क्या भेद है?
  • ६. नाद से रचना कैसे होती है?
  • ७. नाद का रचयिता कौन है?
  • ८. ब्रह्मलीन कैसे हुआ जाए?
  • ९. एकता का अनुभव कैसे होगा?
  • १०. सब माया है , कोई कर्ता नहीं , तो नैतिकता का क्या औचित्य है?

सोनल

  • १. ज्ञानमार्ग में सबसे बड़ी बाधा कौन सी है? २-४ उदाहरण दीजिये।
  • २. तर्क या अनुमान को प्रमाण क्यों माना गया है , जबकि ये पूर्णतयाः बौद्धिक है?
  • ३. सत्य का मानदंड क्या है और किस संदर्भ में लागू है?
  • ४. नए साधकों के लिए और अज्ञानी के लिए वाद-विवाद ज्ञान का सर्वोत्तम उपाय है। अपने विचार बताएं।
  • ५. साक्षी को किस विधि से जाना जा सकता है?
  • ६. क्या अनुभवकर्ता पूर्ण है? इसके लिए और इसके विरोध में तार्किक दृष्टिकोण से खंडन अखण्डन कीजिये।
  • ७. अनुभवक्रिया और शून्यता में क्या भेद हैं? दोनों को अलग अलग कैसे देखें?
  • ८. मानवचित्त में कौन सी परतें हैं ? आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण कौन सी है?
  • ९. जीव ब्रह्म है लेकिन जगत क्या है?
  • १०. क्या गुरु का आचरण नैतिक होना चाहिए?

शिवम् कमल

  • १. ज्ञानमार्गी में कौन से गुण दिखते हैं और कौन से अवगुणों से उसे बचना चाहिए?
  • २. कोई घटना सत्य होने और उसका अपरोक्ष अनुभव होने में क्या फर्क है?
  • ३. कौन सी भाषा और कौन सी पुस्तकें ज्ञानमार्ग में अनिवार्य हैं?
  • ४. आत्मन और मैं में क्या भेद हैं?
  • ५. जिसका अनुभव नहीं हो सकता वो सत्य कैसे हो सकता है?
  • ६. यदि अनुभवकर्ता का अनुभव ही नहीं होता तो बिना उसे देखे कैसे कह सकते हैं कि वो परिवर्तनहीन है? प्रमाण दीजिये।
  • ७. नाद का क्या उद्देश्य है?
  • ८. रचयिता का खंडन कीजिये।
  • ९. अद्वैत का ज्ञान कैसे संभव है यदि वो बुद्धि के परे है?
  • १०. क्या नैतिकता और सुंदरता मिथ्या है?

रमाकांत शर्मा

  • १. ज्ञानमार्ग की क्या विशेषताएं हैं और क्या कमियां हैं?
  • २. प्रमाण का क्या अर्थ है और ये क्यों आवश्यक है?
  • ३. सत्य के बारे में जनमानस में क्या धारणाएं हैं और वो एक ज्ञानी से कैसे भिन्न हैं?
  • ४. अनुभवकर्ता बहुत नहीं। प्रमाण दीजिये।
  • ५. अनुभवकर्ता का तत्व शून्य है। खंडन अखण्डन कीजिये।
  • ६. इन्द्रीओं का क्या कार्य है?
  • ७. कुछ अनुभव अच्छे और कुछ बुरे क्यों होते हैं , जबकि सभी अनुभव माया हैं?
  • ८. अस्तित्व पूर्ण कैसे है ? किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
  • ९. अहिंसा ही नैतिक है - ये मानदंड किसने बनाया है? क्या सबको यही मानना अनिवार्य है?
  • १०. शून्यता में गति क्यों है? इसकी प्रक्रिया क्या है?

माधुरी शैल

  • १. क्या ज्ञानमार्ग द्वारा मुक्ति संभव है ?
  • २. ज्ञान कैसे होता है और अज्ञान कैसे होता है?
  • ३. जो प्रतीत होता है वो मिथ्या है पर वो क्या है जिससे ये प्रतीति उत्पन्न होती है?
  • ४. मैं आत्मन और ब्रह्मन दोनों कैसे हो सकता हूँ?
  • ५. कौन से अनुभव भौतिक हैं और कौन से मानसिक?
  • ६. पराभौतिक परामानसिक स्मृति किसको कहते हैं? इसका क्या प्रमाण है?
  • ७. नाद का प्रयोग दैनिक जीवन में कैसे करना चाहिए?
  • ८. विचार नाद हैं। प्रमाण दीजिये।
  • ९. वो क्या है जो शून्य नहीं है?
  • १०. जिन्हे आत्मज्ञान नहीं हुआ है उनके साथ ज्ञानी का व्यहवार कैसा होना चाहिए ?

कविता

  • १. ज्ञानमार्ग में क्या-क्या वर्जित है?
  • २. सत्य से साक्षात्कार कैसे हो?
  • ३. अज्ञानी के क्या लक्षण हैं?
  • ४. अनुभवकर्ता कैसे जानता है कि वही अस्तित्व है ?
  • ५. मैं दृष्टा हूँ दृश्य नहीं - इस ज्ञान का मनुष्य जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  • ६. नकारात्मक अनुभव से कैसे मुक्ति हो सकती है?
  • ७. मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है और कैसे तय किया गया है?
  • ८. चित्त विभाजन क्यों करता है?
  • ९. क्या अहम् ब्रह्मन हो सकता है?
  • १०. अनुभवक्रिया की क्या विशेषताएं हैं? कैसे पहचाने कि मेरी यही अवस्था है?

जय

  • १. कौन से मार्ग ज्ञानमार्ग के विरोधी मार्ग हैं?
  • २. परिवर्तनीय मिथ्या क्यों है?
  • ३. ज्ञान के साधन क्या हैं ? सबके पास ये उपलब्ध होने पर भी अज्ञान क्यों है?
  • ४. ज्ञान के लिए बुद्धि महत्वपूर्ण क्यों है ?
  • ५. अनुभवकर्ता का ज्ञान किसे होता है?
  • ६. क्या अहंनाश आत्मज्ञान है?
  • ७. ब्रह्मज्ञान और आत्मज्ञान में क्या भेद है? कौनसा अधिक आवश्यक है?
  • ८. अस्तित्व अपने मिथ्यारूप का सृजन कैसे करता है?
  • ९. किसकी इच्छा सर्वोपरि है - मेरी या ब्रह्म की?
  • १०. ज्ञानमार्ग में तंत्र का प्रयोग कितना उचित या नैतिक है?

राजीव

  • १. ज्ञान और अज्ञान में ५ भेद बताईये।
  • २. ज्ञानमार्ग में परिकल्पनाओं का क्या महत्व है?
  • ३. सत्य का निर्धारण व्यक्तिनिष्ठ क्यों है?
  • ४. अहम् और अनुभवकर्ता में ५ भेद बताईये।
  • ५. क्या अनुभवकर्ता अद्वैत है?
  • ६. माया सत्य है। पक्ष और विपक्ष में तर्क दीजिये।
  • ७. नाद से अनुभव कैसे बनता है?
  • ८. व्यक्ति अद्वैत के स्तर तक कैसे पहुँच सकता है?
  • ९. अनुभवक्रिया का साक्षी कौन है?
  • १०. ब्रह्मन परम नैतिक है। इस पर अपने विचार प्रकट करें।

विशाल पटेल

  • १ - यदि जीवन मिथ्या है और यहीं रहना है तो सत्य जानने का क्या लाभ है?
  • २ - कौन सा ज्ञान स्वप्रमाणित है?
  • ३ - शिष्य में कौन सा गुण सबसे महत्वपूर्ण है?
  • ४ - अहम् वृत्ति का नाश कैसे किया जा सकता है?
  • ५ - अनुभवकर्ता का चित्त पर नियंत्रण कैसे आता है?
  • ६ - अनुभवकर्ता और समय का क्या संबंध है?
  • ७ - अनुभव किसका होता है?
  • ८ - क्या अध्यात्म में स्वार्थी होना उचित है?
  • ९ - भविष्य में अस्तित्व का क्या होगा?
  • १० - अद्वैत और एकता में क्या भेद है?

अंकुश

  • १ - ज्ञान का क्या महत्त्व है?
  • २ - क्या अज्ञानी का जीवन सुखमय हो सकता है?
  • ३ - सत्य यदि मनगढंत है तो उसे जानना क्यों आवश्यक है?
  • ४ - यदि मैं मनुष्य नहीं और मैं अमर हूँ तो क्या आत्महत्या उचित है?
  • ५ - अनुभवकर्ता के रूप में कैसे रहा जा सकता है?
  • ६ - कर्म कौन करता है? यदि ये मेरे नहीं तो कर्म क्यों करना पड़ता है?
  • ७ - आत्मन और ब्रह्मन में क्या भेद है?
  • ८ - अनुभवक्रिया में क्या अनुभव किया जाता है?
  • ९ - यदि अनैतिक कर्म से आध्यात्मिक प्रगती हो तो क्या उसे करना ठीक है?
  • १० - ज्ञान हो सकता है, क्या ये वाक्य भी एक मान्यता है?

अंजलि

  • १ - ज्ञान का अधिकारी कौन है ?
  • २ - प्रश्नों का क्या महत्त्व है ?
  • ३ - क्या सभी सत्य व्यावहारिक हैं ?
  • ४ - अनुभवकर्ता का आभाव कहाँ पाया जाता है और कब?
  • ५ - क्या आत्मन और माया दोनों नित्य हैं?
  • ६ - शरीर भौतिक क्यों है?
  • ७ - शून्यता और चित्त में क्या भेद है ?
  • ८ - अहम् का विलय ब्रह्म का उदय है। विचार प्रकट करें।
  • ९ - नैतिकता और सुंदरता अस्तित्व में निहित हैं। सही या गलत?
  • १० - ब्रह्म हो जाने की क्या प्रक्रिया है?

पवन

  • १ - जानना और सुनना कैसे भिन्न है?
  • २ - मनन कैसे करें?
  • ३ - ज्ञानी के चित्त की क्या विशेष अवस्थाएं होती है?
  • ४ - अज्ञान के सोत्र या कारण क्या हैं?
  • ५ - मेरा ज्ञान मुझे ही क्यों नहीं हो सकता ?
  • ६ - आत्मन ही ब्रह्मन है - कैसे?
  • ७ - अनुभव अनंत कैसे हो सकते हैं, यदि वो परिवर्तनशील हैं तो समाप्त होंगे?
  • ८ - चित्त वृत्ति को वृत्ति क्यों कहा गया है?
  • ९ - नाद की क्या विशेषताएं हैं?
  • १० - प्रकृति ने मनुष्य को बुद्धि देकर भी अज्ञानी क्यों बनाया?

महाश्वेता

  • १ - ज्ञान की क्या आवश्यकता है?
  • २ - ज्ञानमार्ग किस प्रकार से सीधा मार्ग है या मार्गहीन मार्ग है?
  • ३ - जो प्रतीत होता है मिथ्या है , बाकी सत्य। सही या गलत?
  • ४ - अनुभवकर्ता परिवर्तनहीन क्यों है , जबकि वह अनंत और मुक्त है ?
  • ५ - स्मृति के बिना अनुभव कैसा होता है?
  • ६ - नाद और चित्त में क्या संबंध है?
  • ७ - ब्रह्मन क्या है?
  • ८ - अद्वैत का ज्ञान कैसे होता है?
  • ९ - नैतिकता और सुंदरता के मानदंड स्त्री और पुरुष के लिए अलग अलग क्यों हैं?
  • १० - यदि सत्य व्यक्तिनिष्ठ है तो ज्ञानमार्गी के लिए सत्यवादी होना क्या अर्थहीन है?

चंचल

  • १ - ज्ञानमार्ग में क्या बाधाएं आ सकती हैं?
  • २ - सुखी जीवन या ज्ञानयुक्त जीवन , कौन सा श्रेष्ठ होगा?
  • ३ - परम सत्य क्या है?
  • ४ - अनुभवकर्ता और शरीर की आपसी निर्भरता क्यों है?
  • ५ - अनुभव कहाँ होते हैं?
  • ६ - नाद से वस्तुओं या अनुभव का निर्माण कैसे होता है?
  • ७ - मैं आत्मन हूँ या ब्रह्मन या दोनों?
  • ८ - अस्तित्व मिथ्यारूप में प्रकट है सत्यरूप में क्यों नहीं?
  • ९ - त्याग में सुख है या भोग में?
  • १० - ज्ञान आधारित नैतिकता क्या है?

ज्योति

  • १ - ज्ञानसाधन का तत्व अपरोक्ष अनुभव ही क्यों है?
  • २ - क्या इन्द्रियां ज्ञानार्जन के लिए व्यर्थ हैं?
  • ३ - मनुष्य जीवन परिवर्तनशील है, तो क्या वो भी मिथ्या है?
  • ४ - चित्त या बुद्धि स्वयं मिथ्या होकर भी सत्य का ज्ञान कैसे दे सकती है?
  • ५ - अनुभवकर्ता को कैसे जाना जा सकता है?
  • ६ - अनुभवहीनता होने पर अनुभवकर्ता का विलय होता है। सत्य या असत्य?
  • ७ - अनुभव कितने प्रकार के हैं?
  • ८ - अवस्थाएं बदल जाने पर भी चित्त में ये ज्ञान कैसे होता है कि सभी अवस्थाएं मेरी हैं?
  • ९ - ज्ञानी का आचरण कैसा होता है?
  • १० - ब्रह्मस्वरूप में आने के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए?

दीपक

  • १ - अंधविश्वास और मान्यताएं अज्ञान क्यों है?
  • २ - ज्ञान की क्या सीमा है?
  • ३ - क्या व्यावहारिक सत्य अनावश्यक है?
  • ४ - अहम् क्या है और वो अनुभवकर्ता कैसे बन जाता है?
  • ५ - मेरे न होने पर जगत के अनुभव का क्या होगा?
  • ६ - सृष्टि का जनक कौन है?
  • ७ - इन्द्रियां अनुभव का माध्यम हैं या निर्माता है?
  • ८ - अद्वैत का अनुभव आसान है। सही या गलत?
  • ९ - ज्ञान से सभी कष्टों का अंत होगा। सही या गलत?
  • १० - सबकी प्रगति में मेरी प्रगति है। कैसे?

कांति

  • १ - ज्ञानमार्ग पर चलने के क्या लाभ हैं और क्या हानियाँ है?
  • २ - कौन से विशेष अनुभव ज्ञान करवाते हैं?
  • ३ - सत्य जानना क्यों आवश्यक है जबकि वो सबका अलग-अलग हो सकता है?
  • ४ - आपका तत्व क्या है?
  • ५ - आत्मज्ञान होने के बाद व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
  • ६ - चित्त की कौन सी अवस्थाएं ज्ञान के लिए आवश्यक हैं?
  • ७ - अनुभव क्यों होते हैं जबकि सब शून्य है?
  • ८ - क्या विचारशून्यता ही एकता है?
  • ९ - क्या बुद्धि का उपयोग अनैतिक कर्म में किया जा सकता है?
  • १० - समर्पण कब होता है?

आदित्य

  • १ - व्यक्ति में ज्ञान की इच्छा कब और किन कारणों से जागृत होती है?
  • २ - अज्ञान एकमात्र अशुद्धि है। सही या गलत?
  • ३ - मेरा अनुभव ही मेरा सत्य है। सही या गलत?
  • ४ - अहम् क्या है ?
  • ५ - अहंनाश कैसे करें ?
  • ६ - अनुभवकर्ता को चित्त के अतिरिक्त और कौन से अनुभव मिलते हैं?
  • ७ - शरीर क्या है?
  • ८ - मनुष्य योनि में सबसे ऊँची परत कौन सी है?
  • ९ - यदि मैं कर्ता नहीं तो मुझसे कर्म कैसे होता है?
  • १० - अस्तित्व में अनैतिकता, कुरूपता, हिंसा, नीचता आदि विकार क्यों है , जबकि वह सर्वशक्तिमान ब्रह्मन है?

नागेश

  • १ - ज्ञानमार्ग की क्या विशेषताएं हैं?
  • २ - ज्ञानी में साहस क्यों आवश्यक है ?
  • ३ - बुद्धि की क्या सीमाएं हैं?
  • ४ - मेरा प्रकट रूप कैसा है?
  • ५ - अनुभवकर्ता का तत्व शून्य होते हुए भी उसको अनुभव कैसे हो जाते हैं?
  • ६ - कौन से अनुभव स्थायी हैं?
  • ७ - स्मृति में कितनी परतें होती हैं?
  • ८ - कर्मबन्धन से मुक्ति कैसे संभव है?
  • ९ - अद्वैत का ज्ञान किसे होता है?
  • १० - क्या अज्ञानी का आचरण नैतिक हो सकता है?

विमलेश

  • १ - ज्ञानमार्गी के लिए अनुशासन का क्या महत्व है?
  • २ - क्या बुद्धि सिमित होते हुए भी असीमित ज्ञान संभव है?
  • ३ - सभी अनुभव मिथ्या हैं, फिर सत्य का अनुभव कैसे होगा?
  • ४ - अनुभवकर्ता सत्य क्यों है?
  • ५ - कौन सी अवस्थाओं में अनुभवकर्ता का अभाव देखा जाता है?
  • ६ - कौन से अनुभव बिना प्रयास किये हो जाते हैं?
  • ७ - औसत जीव में कौन सी वृत्तियाँ प्रबल हैं?
  • ८ - क्या मनुष्य सभी जीवों में श्रेष्ठ है?
  • ९ - अस्तित्व क्या है?
  • १० - सामाजिक बंधनों में रहते हुए साधना कैसे की जा सकती है?

कृष्णप्रिया

  • १ - ज्ञानमार्ग में बुद्धि का प्रयोग बुद्धि के परे जाने के लिए कैसे होता है?
  • २ - अज्ञान क्या है?
  • ३ - क्या सम्पूर्ण अस्तित्व असत्य है?
  • ४ - अनुभवकर्ता में सुख-दुःख या इच्छाएं क्यों नहीं है?
  • ५ - मैं या अनुभवकर्ता निर्गुण है , तो क्या निर्गुण हो जाना मेरा पतन नहीं? क्या ज्ञान होने पर मनुष्यता खो जाती है?
  • ६ - अनुभव में स्थायित्व किस कारण प्रतीत होता है?
  • ७ - मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है?
  • ८ - अंतिम ज्ञान क्या है?
  • ९ - शरीर से तादात्म्य कैसे टूट सकता है?
  • १० - अस्तित्व और अद्वैत अवस्था में क्या फर्क है ?

शिवजी

  • १ - ज्ञानमार्ग में प्रमाण क्या माना गया है ?
  • २ - ज्ञान किसको होता है?
  • ३ - सार्वभौमिक सत्य क्या है?
  • ४ - अनुभवकर्ता ने विभिन्न रूप क्यों लिए हैं?
  • ५ - बुद्धि द्वारा मेरा ज्ञान मुझे कैसे होता है?
  • ६ - चित्त की क्या विशेषताएं हैं?
  • ७ - अनुभव स्थाई क्यों नहीं रहता?
  • ८ - सृष्टि और शून्यता एक साथ कैसे हो सकते हैं?
  • ९ - क्या अस्तित्व को स्वयं का ज्ञान है?
  • १० - हिंसा किन स्थितियों में उचित है?

प्रीति

  • १ - ज्ञानमार्ग में संतोष न मिले तो साधक को क्या करना चाहिए ?
  • २ - अशुद्धिओं के कारण ज्ञानमार्ग में क्या बाधाएं आती हैं ?
  • ३ - जीवन में सत्य-असत्य का भेद जानना क्यों उपयोगी है?
  • ४ - बच्चों में अनुभवकर्ता छोटा क्यों होता है? उनको क्या खिलाने से अनुभवकर्ता का सही विकास होगा?
  • ५ - मैं सर्वव्यापी हूँ। प्रमाणित कीजिये।
  • ६ - अनुभव मेरा तत्व क्यों नहीं हो सकता ?
  • ७ - चित्तवृत्ति क्या करने से बंद होती है?
  • ८ - चित्त की अवस्थाओं में भेद कौन जानता है ?
  • ९ - क्या नाद मैं हूँ या क्या वो मेरा है?
  • १० - अद्वैत के ज्ञान का पारिवारिक जीवन में कैसे उपयोग करें ?

वैभव

  • १ - ज्ञानमार्ग में किसका विकास होता है?
  • २ - निर्धनता और अस्वस्थ शरीर/मन का ज्ञानार्जन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  • ३ - व्यक्ति क्या है और क्यों आवश्यक है?
  • ४ - स्वतंत्रता और मुक्ति में क्या भेद है ?
  • ५ - क्या गुरु या दूसरों का सत्य मेरा सत्य है?
  • ६ - अनुभवकर्ता शरीर को कैसे नियंत्रित करता है?
  • ७ - अनुभव और अनुभवकर्ता में ५ भेद बताएं।
  • ८ - नाद से नादरचनाएँ कैसे बनती हैं?
  • ९ - अद्वैत अस्तित्व कब द्वैत हो जाता है?
  • १० - क्या ज्ञानी नैतिकता के परे है?

राजेश्वरी

  • १ - ज्ञान का सोत्र क्या है?
  • २ - सत्य के विषय में अज्ञानी जनों में कौन सी मान्यताएँ हैं?
  • ३ - अनुभवकर्ता के परिपक़्व होने पर उसमे क्या बदलाव आते हैं?
  • ४ - कौन से प्रयोगों से अनुभवकर्ता सिद्ध होता है?
  • ५ - आत्मज्ञान ज्ञान का अंत है। कैसे ?
  • ६ - सम्पूर्णता में से कौन सी अनावश्यक चीज़ें हटाई जा सकती हैं?
  • ७ - अच्छे और बुरे अनुभवों के कुछ उदाहरण दीजिये।
  • ८ - क्या बुरे कर्मों का प्रायश्चित्त आवश्यक है?
  • ९ - मनुष्य जन्म का क्या उद्देश्य है?
  • १० - स्वसमानता के नियम का क्या कारण है और इसके क्या परिणाम हैं?

शिवम सिंह

  • १ - ज्ञानमार्ग में सफलता किनको मिलती है?
  • २ - सत्य की सीमाएं क्या हैं ?
  • ३ - अनुभवकर्ता का अनुभव किसे होता है?
  • ४ - सभी जीवों में अनुभवकर्ता है। सत्य या असत्य?
  • ५ - विभिन्न अनुभवों का एकीकरण कैसे होता है?
  • ६ - ब्रह्मन माया की रचना कैसे करता है?
  • ७ - अस्तित्व में विनाश और हिंसा नहीं हैं। सत्य या असत्य?
  • ८ - अहंभाव और साक्षीभाव में क्या फर्क है?
  • ९ - विश्वचित्त में क्या गुण हैं ?
  • १० - चित्त की कौन सी अवस्थाएं ज्ञानी के लिए उपयोगी हैं?

पूजा

  • १ - क्या ज्ञानमार्ग में पुरुष होना, विशेष जाति का होना, संस्कृत जानना या शास्त्रों का ज्ञाता होना आवश्यक है?
  • २ - क्या सत्य भी परिवर्तनशील है?
  • ३ - अनुभवों का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
  • ४ - अनुभवकर्ता निर्गुण क्यों है?
  • ५ - क्या सभी अनुभव अनुभवकर्ता के अंदर हैं?
  • ६ - ब्रह्मन के परे क्या है?
  • ७ - अस्तित्व अद्वैत है ये कैसे जाना जा सकता है?
  • ८ - चित्त एक है , फिर सभी जीवों में भिन्नता क्यों है?
  • ९ - मानव चित्त में सबसे सक्रीय परतें कौन से हैं?
  • १० - ज्ञानी को अनैतिक व्यक्ति से कैसा व्यवहार करना चाहिए?

सर्वज्ञ

  • १ - ज्ञान नकारात्मक क्यों है?
  • २ - अज्ञान के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  • ३ - व्यहवारिक सत्य और असत्य में क्या भेद है?
  • ४ - यदि मेरा तत्व ही शून्य है तो मेरा अस्तित्व कैसे हो सकता है?
  • ५ - सत्य के मानदंड वस्तुओं पर लागू हैं न कि वस्तुओं के साक्षी पर। सही या गलत?
  • ६ - कौन से अनुभव बुरे हैं, कौन से अच्छे?
  • ७ - स्वप्न और जागृति में क्या भेद हैं और क्या समानता है?
  • ८ - चित्त की बदलती अवस्थाओं में क्या स्थायी रहता है?
  • ९ - मिथ्या जगत में सत्य का उपयोग कहाँ तक उचित है?
  • १० - सबकुछ पूर्ण और सुन्दर है। प्रमाण दीजिये।

सिद्धार्थ

  • १ - ज्ञान प्राप्त होने के बाद साधक को क्या करना आवश्यक है?
  • २ - क्या सत्य एक मान्यता मात्र है?
  • ३ - क्या गुणों का आभाव होने पर और मनोविकार होने पर भी ज्ञानमार्ग में सफलता निश्चित है?
  • ४ - मैं अनुभवकर्ता हूँ ये कहना अहम् वृत्ति है। सही या गलत?
  • ५ - अनुभवकर्ता के विश्लेषण का क्या परिणाम मिलता है?
  • ६ - अनुभव के आभाव में मेरा कोई अस्तित्व नहीं। खंडन कीजिये।
  • ७ - ज्ञानमार्ग में शरीर महत्वहीन है और इसका त्याग उचित है। पक्ष और विपक्ष में तर्क दीजिये।
  • ८ - चित्तवृत्ति को किस विधि से रोका जा सकता है? ऐसी अवस्था क्यों अच्छी मानी जाती है?
  • ९ - ब्रह्म को एक न कहकर अद्वैत क्यों कहा जाता है?
  • १० - शून्यता में नाद किस प्रकार उत्पन्न होता है?

पुष्पेंद्र

  • १ - ज्ञानी और अज्ञानी के आचार-विचार में क्या अंतर होता है?
  • २ - अहंभाव के क्या लक्षण हैं?
  • ३ - क्या सत्य की खोज मनुष्य के लिए अनिवार्य है?
  • ४ - क्या सभी व्यक्तियों के अनुभवकर्ता एक समान हैं?
  • ५ - चक्षु आदि इन्द्रियां न होने पर भी अनुभवकर्ता अनुभव कैसे कर लेता है?
  • ६ - जगत, शरीर, मनस आदि का निर्माण कैसे हो रहा है?
  • ७ - नाद व्यावहारिक सत्य है। सही या गलत?
  • ८ - प्रौद्योगिकी का प्रयोग कहाँ तक नैतिक है?
  • ९ - सब मात्र संभावना है। व्याख्या कीजिये।
  • १० - ब्रह्मन को जीव बन जाने से क्या लाभ मिलता है?

स्वाति

  • १ - ज्ञान का क्या महत्व है ? आध्यात्मिक ज्ञान का क्या उपयोग है?
  • २ - कौन से गुण मतारोपण से बचने में सहायक हैं?
  • ३ - सत्य किन सन्दर्भों में असत्य हो जाता है?
  • ४ - अनुभवकर्ता को कौन से अनुभव चुनने चाहिए?
  • ५ - अनुभवकर्ता समयहीन कैसे है?
  • ६ - अनुभव ज्ञानसाधन है और निश्चित ज्ञान देते हैं। सही या गलत?
  • ७ - नादरचनाएँ क्या हैं और कैसे बनती हैं?
  • ८ - चित्त की कौन से परतें कभी नष्ट नहीं होतीं ?
  • ९ - सभी चित्त अवस्थाएं स्वप्न की तरह कैसे हैं?
  • १० - क्या मनुष्य में सुंदरता और नैतिकता की योग्यता होना अस्तित्व की बुद्धिमत्ता दर्शाता है?

सुभाष

  • १ - ज्ञानमार्ग में प्रगति कैसे सुनिश्चित करें ?
  • २ - समालोचनात्मक बुद्धि क्यों आवश्यक है ?
  • ३ - अपरोक्ष अनुभव इन्द्रीओं से होता है पर क्या इन्द्रियां सही ज्ञान दे सकती हैं ?
  • ४ - अनुभव की निरंतरता उसके सत्य होने का प्रमाण है। सही या गलत ?
  • ५ - अनुभवकर्ता की समयहीनता का क्या प्रमाण है ?
  • ६ - तार्किक दृष्टि से केवल अनुभवक्रिया है फिर द्वैत की शिक्षा क्यों दी जाती है ?
  • ७ - नाद में प्रक्रियाएँ क्यों हैं ?
  • ८ - चित्त में कितनी परतें हैं ? क्या वो सभी जीवों में हो सकती हैं ?
  • ९ - क्या है जो चित्तावस्था के बदलने पर नहीं बदलता ?
  • १० - सुंदरता के उपयोग और दुरुपयोग क्या हैं ?

नरेंद्र

  • १ - शब्दों से ज्ञान नहीं होता , फिर ज्ञानमार्ग में भाषा शुद्ध होना क्यों आवश्यक है?
  • २ - किन परिस्थितिओं में गुरु शिष्य को असत्य बताता है या दुसरे मार्गों की शिक्षा देता है?
  • ३ - क्या करने से सत्य असत्य का भेद जाना जा सकता है?
  • ४ - ज्ञान की सीमा क्या है?
  • ५ - अनुभवकर्ता होने के लिए ज्ञानमार्ग में कौन सी विधि बताई गई है?
  • ६ - क्या अनुभवकर्ता सगुण है? उसमे कौन से गुण हैं?
  • ७ - अनुभव का तत्व क्या है?
  • ८ - चित्त की अवस्थाओं और चित्त की वृत्तिओं में क्या भेद हैं?
  • ९ - मैं ब्रह्म हूँ , क्या ये कहना अहंभाव है?
  • १० - नैतिकता का सही मानदंड क्या है?

योगेश

  • १ - ज्ञानमार्ग छोटा है लेकिन कठिन है। कैसे?
  • २ - सत्य पर विश्वास कैसे होता है?
  • ३ - ज्ञान क्यों आवश्यक है?
  • ४ - मैं व्यक्ति नहीं , ये ज्ञान किसे होता है?
  • ५ - अनुभवकर्ता का सबसे महत्वपूर्ण गुण कौन सा है?
  • ६ - अनुभव कितने प्रकार के हैं और उनमे से असली प्रकार कौन सा है?
  • ७ - चित्त के नियम कौन बनाता है और कौन उनका पालन करवाता है?
  • ८ - अस्तित्व ही अनुभवकर्ता है। कैसे?
  • ९ - क्या व्यक्तिनिष्ठ होने के कारण अद्वैत के ज्ञान का कोई महत्त्व नहीं?
  • १० - नैतिक व्यक्ति से क्या अपेक्षा रखनी चाहिए ?

धर्म सिंह

  • १ - अज्ञान क्यों होता है और कौन से ज्ञान से वो नष्ट होता है?
  • २ - ज्ञानमार्ग में ज्ञान नहीं मिलता , अज्ञान का नाश होता है। फिर किस मार्ग में ज्ञान मिलता है?
  • ३ - सत्य जीवन में उपयोगी नहीं, फिर इसे जानने से क्या लाभ है?
  • ४ - अनुभवकर्ता शरीर तक ही क्यों सीमित है?
  • ५ - अनुभवकर्ता का अभाव किस समय देखा जाता है?
  • ६ - अनुभव सीमित क्यों हैं?
  • ७ - नाद की रचना कैसे होती है?
  • ८ - चित्त में सबसे उपयोगी परत कौन सी है?
  • ९ - चित्त की कौन सी अवस्थाएं ज्ञान के लिए उपयोगी हैं?
  • १० - अस्तित्व एक होकर भी दो में कैसे विभक्त हो गया?

वंदना

  • १ - ज्ञान का अधिकारी कौन है?
  • २ - पुस्तकों को ज्ञान का साधन क्यों नहीं माना गया है?
  • ३ - सत्य व्यक्तिनिष्ठ है तो ज्ञानमार्ग पर सत्य का एक ही मानदंड क्यों है?
  • ४ - अहम् ही अनुभवकर्ता है। सही या गलत?
  • ५ - सभी जीवों में एक ही अनुभवकर्ता है। प्रमाण दीजिये।
  • ६ - माया का अनुभव कैसे होता है?
  • ७ - ब्रह्मन द्वारा जीव रूप कैसे लिया जाता है?
  • ८ - अनियंत्रित चित्तवृत्ति पर कैसे नियंत्रण करें ?
  • ९ - कौन सी चित्तावस्था सत्य है?
  • १० - क्या नैतिकता के मानदंड स्वयं निर्धारित करके ज्ञानी सामाजिक नियमों से मुक्त हो जाता है?

कमलेन्द्र

  • १ - कौन सा ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण है?
  • २ - सत्य जानना क्यों आवश्यक है?
  • ३ - ज्ञानमार्गी का उप-लक्ष्य क्या है?
  • ४ - अनुभवकर्ता स्वयं को क्यों नहीं जानता?
  • ५ - अनुभवकर्ता किन इन्द्रीओं से अनुभव करता है?
  • ६ - अनुभव न हो तो क्या समस्या आ सकती है?
  • ७ - माया के मुख्य गुण क्या हैं?
  • ८ - यदि चित्त एक है और शरीर चित्त की परत है, तो शरीर बहुत क्यों हैं?
  • ९ - अस्तित्व का अनुभव कैसे हो सकता है?
  • १० - मृत्यु अटल है इसलिए सत्य है। सही या गलत?

अक्षता

  • १ - मूलज्ञान क्या है?
  • २ - अज्ञान के साधन कौन से हैं?
  • ३ - सत्य के मानदंड किस आधार पर निर्धारित किये गए हैं?
  • ४ - अस्तित्व या अनुभवकर्ता के विश्लेषण से क्या ज्ञान होता है?
  • ५ - आप ब्रह्मन हैं तो मैं कौन हूँ?
  • ६ - जड़ वस्तुओं, जैसे पत्थर आदि में अनुभवकर्ता क्यों नहीं पाया जाता?
  • ७ - व्यक्ति को ब्रह्मन का अनुभव किस विधि से हो सकता है?
  • ८ - अनुभव में क्या विशेषताएं मिलती हैं?
  • ९ - स्मृति कैसे बनती है?
  • १० - चित्त की परतों और सूक्ष्म शरीरों में क्या संबंध है?

महेंद्र

  • १ - ज्ञान की क्या परिभाषा है?
  • २ - विज्ञान और ज्ञान में क्या भेद है?
  • ३ - क्या ज्ञानमार्गी में करुणा और दया के गुण होना आवश्यक हैं?
  • ४ - स्वयं को स्वयं का ज्ञान किस विधि से होता है?
  • ५ - मन और आत्मन एक क्यों हैं?
  • ६ - सभी भिन्न स्वभाव के हैं फिर तत्व एक कैसे?
  • ७ - अनुभव कितने प्रकार के हैं ?
  • ८ - चित्त में वृत्तियाँ क्यों हैं , क्या करने से समाप्त होंगी?
  • ९ - अद्वैत का अनुभव कैसा लगता है?
  • १० - आनंद किस प्रकार के जीवन में मिलता है?

जगविंद्र

  • १. ज्ञानमार्ग पर आने के लिए क्या आवश्यक है?
  • २. ज्ञानमार्ग पर कौन से चमत्कार दिखाई देते हैं?
  • ३. सत्य का आधार क्या है?
  • ४. अनुभवकर्ता का प्रमाण कहाँ मिलता है?
  • ५. मेरा न होना ही मेरा ब्रह्म होना है। सही या गलत?
  • ६. अनुभव कहाँ होते हैं?
  • ७. वो क्या है जो जीव जगत आदि रूपों में प्रतीत होता है?
  • ८. नाद का निर्माण कैसे होता है और कौन करता है?
  • ९. चित्त के नियमों में से कौन सा सबसे महत्वपूर्ण है?
  • १०. अद्वैत अवस्था क्या है?

प्रशांत

  • १ - ज्ञान और अज्ञान में क्या भेद हैं?
  • २ - क्या गुरु ज्ञान का साधन है?
  • ३ - तत्व क्या है? किसका तत्व नहीं होता?
  • ४ - अनुभवकर्ता अदृश्य होकर भी दृष्टा कैसे हो सकता है?
  • ५ - व्यक्ति को आत्मज्ञान से क्या ज्ञान होता है?
  • ६ - अनुभव असत्य है , अनुभव की व्याख्या भी अनुभव है , तो व्याख्या सत्य कैसे?
  • ७ - ब्रह्म किस क्रिया द्वारा वस्तुओं और मनुष्यों के अंदर आ जाता है?
  • ८ - स्मृति, नाद और चित्त में क्या भेद हैं?
  • ९ - इन्द्रियां स्वयं अनुभव होकर अनुभव का कारण कैसे है?
  • १० - शरीर और लोक में क्या संबंध है?

सुनीता

  • १ - सबसे महत्वपूर्ण ज्ञान कौन सा है?
  • २ - यदि गुरु न हो तो किस माध्यम से ज्ञान मिल सकता है?
  • ३ - सत्य नित्य क्यों है?
  • ४ - अनुभवकर्ता जीवन में होना क्यों आवश्यक है?
  • ५ - क्या नेति नेति अनुभवकर्ता पर भी लागू है, यदि वो सभी चीजों पर लागू है?
  • ६ - अनुभव की सीमा क्या है?
  • ७ - इन्द्रियां नाद का निर्माण कैसे करती हैं?
  • ८ - चित्त की कौन सी अवस्था सत्य है?
  • ९ - भौतिक जगत में कोई लोक क्यों नहीं दिखते ?
  • १० - ब्रह्म होना सरल है जानना कठिन। सही या गलत?

मिलिश्री

  • १ - ज्ञानी और अज्ञानी का व्यवहार कैसे भिन्न होता है?
  • २ - प्रमाण क्या है? कौनसी अवस्था प्रमाण के लिये प्रभावी है?
  • ३ - शुद्धि पहले या ज्ञान पहले?
  • ४ - अनुभवकर्ता क्या है?
  • ५ - सभी जनों में अनुभवकर्ता है, फिर वो एक कैसे?
  • ६ - क्या अनुभवकर्ता को शरीर के बिना जाना जा सकता है?
  • ७ - सभी अनुभव मानसिक हैं। सही या गलत?
  • ८ - चित्त की कौन सी परतें अनावश्यक हैं?
  • ९ - मैं ब्रह्म हूँ या ब्रह्म का रूप हूँ?
  • १० - अनुभवक्रिया ही अद्वैत है , कैसे?

हिमांशु

  • १ - ज्ञानमार्ग की साधना कैसे की जाती है?
  • २ - स्वयं का ज्ञान ही ज्ञान है, बाकी अज्ञान है। सही या गलत?
  • ३ - तर्क (अनुमान) का आधार क्या है?
  • ४ - प्रश्न का क्या महत्व है? प्रश्न कैसे होने चाहिए?
  • ५ - व्यक्ति को अनुभव कैसे होते हैं?
  • ६ - अनुभवकर्ता को किस विधि से देखा जा सकता है?
  • ७ - मन का अनुभव वस्तुओं के अनुभव से क्यों भिन्न है?
  • ८ - चित्त की कौन सी वृत्तियाँ ज्ञानमार्ग में सहायक हैं?
  • ९ - इन तीनों में से क्या जानना जरुरी है - मैं आत्मन हूँ या मैं ब्रह्मन हूँ या मैं नहीं हूँ?
  • १० - अस्तित्व परम नैतिक है। सही या गलत?

नरेश

  • १ - ज्ञानमार्ग की क्या विशेषताएं हैं?
  • २ - क्या सत्य सभी संदर्भों में सत्य होता है?
  • ३ - क्या अनुभवकर्ता एक विचार मात्र है?
  • ४ - सभी में अनुभवकर्ता होते हुए भी किसी को दिखाई क्यों नहीं पड़ता?
  • ५ - क्या ज्ञान होने पर जीव की सामान्य वृत्तियाँ समाप्त हो जाती हैं?
  • ६ - ईंट-पत्थर में अनुभवकर्ता क्यों नहीं है?
  • ७ - मनुष्य ही ब्रह्म है। सही या गलत ?
  • ८ - माया का अर्थ क्या है?
  • ९ - ब्रह्म अखंड है तो उसके रूप कई कैसे हो गए?
  • १० - सुंदरता जीवन के लिए क्यों उपयोगी है?

रवि

  • १ - ज्ञानमार्ग पर चलने में क्या कठिनाई आ सकती है?
  • २ - गुरु का चयन किन मानदंडों के आधार पर होता है?
  • ३ - यदि साधक पहले से मुक्त है तो मुमुक्षत्व होना क्यों आवश्यक है?
  • ४ - अज्ञानी के क्या लक्षण हैं?
  • ५ - मेरे और आपके अनुभवकर्ता में क्या फर्क है?
  • ६ - यदि आत्मन निराकार और अदृश्य है तो आत्मदर्शन कैसे होगा?
  • ७ - आत्मन और ब्रह्मन में क्या संबंध है?
  • ८ - जीव को अनुभव कैसे होते हैं ? केवल अच्छे अनुभव ही क्यों नहीं होते?
  • ९ - माया की क्या विशेषताएं हैं?
  • १० - सभी ब्रह्म हैं, फिर सभी दिव्य, नैतिक और संत क्यों नहीं हैं?

हृदयेश्वरी

  • १ - ज्ञान के अलावा साधक का उपलक्ष्य क्या है?
  • २ - ज्ञान के हीन और उच्च साधन कौन से हैं और किसने निर्धारित किये हैं?
  • ३ - सत्य के मानदंड किस आधार पर निर्धारित किये गए हैं?
  • ४ - ज्ञानमार्ग में ज्ञान नहीं होता, तो क्या साधक अज्ञानी ही रह जाता है?
  • ५ - अस्तित्व में क्या नहीं पाया जाता?
  • ६ - मैं अस्तित्व हूँ या मैं अनुभवकर्ता हूँ?
  • ७ - अनुभव शून्यता मात्र हैं , सिद्ध कीजिये।
  • ८ - स्मृति और नाद में क्या भेद है?
  • ९ - इन्द्रियां कितनी हैं और कौन से प्रकार की इन्द्रियां सर्वाधिक हैं?
  • १० - विकास किसका होता है और उसकी चरम अवस्था क्या है?

प्रवीण

  • १ - ज्ञानमार्ग का लक्ष्य क्या है?
  • २ - सबको ज्ञान क्यों नहीं हो सकता?
  • ३ - साधक के गुण गुरु में न हो तो क्या उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिए?
  • ४ - अनुभवकर्ता यदि अदृश्य है, तो आत्मदर्शन कैसे हो सकता है?
  • ५ - यदि सभी का तत्व एक ही है , तो सबके स्वभाव में भिन्नता क्यों है? कोई अपराधी कोई संत क्यों है?
  • ६ - चित्त के नियम स्थायी हैं, तो क्या वो सत्य हैं?
  • ७ - यदि मैं कर्ता नहीं, तो वृत्तिओं और अवस्थाओं पर नियंत्रण कौन करता है?
  • ८ - ब्रह्मन में क्या सत्य है और क्या असत्य?
  • ९ - साधक का जीवन कैसा हो? इसके लिए शास्त्रों में क्या निर्देश हैं?
  • १० - सुंदरता चित्तनिर्मित है, फिर अस्तित्व को पूर्ण और सुंदर क्यों कहा गया है?

शेर बहादुर बिष्ट

  • १ - अज्ञान के क्या परिणाम होते हैं?
  • २ - ज्ञान क्या है और कहाँ होता है?
  • ३ - ज्ञानार्जन के हीन और उच्च मानदंड क्या हैं?
  • ४ - अनुभवकर्ता जीव में कहाँ स्थित है?
  • ५ - अस्तित्व में अनुभव करने का गुण कैसे आया?
  • ६ - स्मृति माया कैसे रचती है?
  • ७ - चित्त की परतें एक के ऊपर एक हैं या सभी एक तल पर हैं?
  • ८ - नाद की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
  • ९ - क्या दो जीवों के चित्त में संपर्क हो सकता है? कैसे?
  • १० - जागृतावस्था किन वृत्तिओं से बनी है?

कमल

  • १ - मूलज्ञान क्या है?
  • २ - ज्ञानमार्ग में कौन से दोष हैं?
  • ३ - गुरुपूजा द्वारा अज्ञान से मुक्ति कैसे होती है?
  • ४ - अस्तित्व में कौन से गुण हैं?
  • ५ - अनुभवकर्ता को अनुभव द्वारा जाना जाता है , फिर उसका स्वतंत्र अस्तित्व कैसे है?
  • ६ - अनुभव एक है या अनेक?
  • ७ - यदि अनुभव माया का होता है, तो सत्य का अनुभव किस विधि से होता है?
  • ८ - माया के अवलोकन से क्या ज्ञात होता है?
  • ९ - इन्द्रियां सिमित होने पर भी माया अनंत है, ये ज्ञान कैसे संभव है?
  • १० - परतों का विकासक्रम संक्षेप में बताइये।

ऋषि

  • १ - ज्ञान और सत्य में क्या भेद है?
  • २ - ज्ञानमार्गी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?
  • ३ - ज्ञान होने पर कौन सी सिद्धियां मिलती है?
  • ४ - साधक को अनुभवकर्ता बने रहने के लिए क्या करना चाहिए?
  • ५ - निद्रा की अवस्था में अनुभवकर्ता क्यों विलीन हो जाता है?
  • ६ - अनुभव क्यों आवश्यक है?
  • ७ - शून्यता से जगत कैसे प्रकट हो गया?
  • ८ - मैं ब्रह्म हूँ , ये कोई व्यक्ति कैसे कह सकता है?
  • ९ - क्या चित्त नश्वर है?
  • १० - ब्रह्म ने अनैतिकता या बुराई की रचना क्यों की?

अमित

  • १ - मूलज्ञान क्या है और किस विधि से होता है?
  • २ - ज्ञानमार्ग में क्या नहीं मिलेगा?
  • ३ - ज्ञान और जानकारी कैसे अलग हैं?
  • ४ - मुझमें और मेरे तत्व में क्या भेद है?
  • ५ - अस्तित्व में कौन सा अभाव है?
  • ६ - अनुभवकर्ता सर्वव्यापी कैसे हो सकता जब कि वो जगत , शरीर या मन में कहीं नहीं है?
  • ७ - अनुभव अस्तित्व के कारण है या अस्तित्व अनुभव के कारण?
  • ८ - माया को किसने जन्म दिया है?
  • ९ - नाद क्यों आवश्यक है?
  • १० - इन्द्रीओं की सीमा कहाँ है?

रामपाल

  • १ - ज्ञान क्यों आवश्यक है?
  • २ - सूचना माध्यमों से ज्ञान आसानी से कैसे हो जाता है?
  • ३ - तत्व कब तक स्थायी रहता है?
  • ४ - अस्तित्व संपूर्णता है, क्या ये अनुमानित है?
  • ५ - अनुभवकर्ता असीमित होने पर भी सीमित अनुभव क्यों होता है?
  • ६ - व्यक्ति को स्वयं का ज्ञान किस विधि से होता है?
  • ७ - क्या साक्षी भाव भी मिथ्या है?
  • ८ - माया किन रूपों में प्रकट है?
  • ९ - चित्त का अंत कब होता है?
  • १० - कौन सी वृत्ति मनुष्य जन्म का कारण है?

शिक्षा

  • १ - अज्ञान के क्या परिणाम होते हैं?
  • २ - साधक में ज्ञानमार्गी के गुण होना क्यों आवश्यक है?
  • ३ - सत्य के मानदंड किस आधार पर होने चाहिए?
  • ४ - अस्तित्व कितने प्रकार के हैं?
  • ५ - अनुभवकर्ता का उन्नत विश्लेषण क्या बताता है?
  • ६ - अनुभव की व्याख्या करने की सही विधि क्या है?
  • ७ - माया एक नकली अनुभव है। सही या गलत ?
  • ८ - नाद में असीमित संभावना क्यों है?
  • ९ - नादरचनाएँ अर्धस्थायी कैसे बनती हैं?
  • १० - विकासक्रम का उद्देश्य क्या है?

कमलेन्द्र

  • १ - यदि गुरु और ग्रंथ ज्ञानसाधन नहीं हैं, तो उनका क्या उपयोग है?
  • २ - कौन निर्धारित करता है कि सत्य क्या होना चाहिए?
  • ३ - मैं अनुभवकर्ता हूँ - ऐसा क्यों माना जाता है?
  • ४ - अनुभव के पहले क्या आता है?
  • ५ - कौन से अनुभव सबको एक सामान होते हैं?
  • ६ - चित्त की परतें किस आधार पर बनाई गई हैं?
  • ७ - विश्वचित्त क्या है?
  • ८ - ब्रह्म का कौन सा रूप सबसे श्रेष्ठ है?
  • ९ - नैतिकता का मानदंड क्या है?
  • १० - ब्रह्म सम्पूर्ण कैसे है?

भारती

  • १ - ज्ञान का अधिकारी कौन है?
  • २ - ज्ञानमार्ग में ज्ञान क्यों नहीं हो सकता?
  • ३ - तत्व के मिटने पर क्या बचता है?
  • ४ - मैं अस्तित्व हूँ - इस मान्यता का खंडन करें।
  • ५ - अनुभवकर्ता के मुख्य गुण क्या हैं?
  • ६ - क्या अनुभव सर्वव्यापी है?
  • ७ - स्मृति क्या है?
  • ८ - अस्तित्व और संभावना कैसे भिन्न हैं?
  • ९ - अहम् का क्या उपयोग है?
  • १० - ब्रह्म का विकास क्यों होता है?

रोशन

  • १ - ज्ञानमार्ग की सीमा कहां पर है?
  • २ - ज्ञान के श्रेष्ठ साधन कौन से हैं?
  • ३ - सत्य व्यक्तिनिष्ठ क्यों है?
  • ४ - मेरा तत्व अनुभवकर्ता है या शून्य है?
  • ५ - सबके अनुभवकर्ताओं में इतनी भिन्नता क्यों है?
  • ६ - कौन सा अनुभव इन्द्रीओं द्वारा नहीं होता?
  • ७ - अस्तित्व एक कैसे है?
  • ८ - माया के अवलोकन से क्या ज्ञात होता है?
  • ९ - नाद किन वस्तुओं में पाया जाता है?
  • १० - जीव का विकास तेज कैसे हो?

सत्यानंद

  • १ - सूचना का ज्ञानार्जन में क्या महत्व है?
  • २ - अज्ञेयता और अज्ञान में क्या भेद है?
  • ३ - व्यक्ति को ज्ञान कैसे होता है?
  • ४ - क्या मैं भी एक संभावना मात्र हूँ?
  • ५ - क्या अस्तित्व एक अवधारणा है?
  • ६ - सब एक है फिर द्वैत क्यों है?
  • ७ - माया की परिभाषा क्या है?
  • ८ - चित्त किन जीवों में होता है?
  • ९ - स्मृति का ज्ञान कैसे होता है?
  • १० - नाद का अंत कब हो जाता है?

ऋतु

  • १ - ज्ञान कितने प्रकार का है?
  • २ - ज्ञानमार्ग में केवल शब्द सुनकर ज्ञान कैसे हो जाता है?
  • ३ - जो प्रकट है वो सत्य है, अन्यथा नहीं। सही या गलत?
  • ४ - चित्त की विभाजन वृत्ति क्या है?
  • ५ - अनुभवकर्ता के दर्शन कौन से अवस्था में होते हैं?
  • ६ - क्या माया भी संपूर्ण है?
  • ७ - ब्रह्म ने विकृत या अनैतिक रूप क्यों धारण किये हैं?
  • ८ - अस्तित्व की सीमा कहाँ है?
  • ९ - ब्रह्म की सही पूजा विधि क्या है?
  • १० - मनुष्य जीवन कब सफल माना जाता है?

मधु

  • १ - मूलज्ञान के बाद कौन सा ज्ञान ज़रूरी है?
  • २ - अज्ञान और अज्ञानी में क्या संबंध है?
  • ३ - दुःख का मूल कारण क्या है?
  • ४ - तत्व की पहचान क्या है?
  • ५ - अस्तित्व का तत्व शून्य कैसे हैं ? तर्क और अनुभव द्वारा सिद्ध करें।
  • ६ - समर्पण के क्या लक्षण हैं?
  • ७ - चित्त की अनुपस्थिति में अनुभवकर्ता का ज्ञान किसको होगा?
  • ८ - मैं नित्यशान्ति हूँ। सही या गलत ?
  • ९ - परतों की प्रक्रियाओं में दोष आने पर क्या होता है?
  • १० - नाद द्वारा कौन सी रचना असंभव है?

ज्योति

  • १ - ज्ञान के क्या परिणाम होते हैं?
  • २ - जहाँ अनुभव संभव नहीं वहां क्या तर्क संपूर्ण प्रमाण है?
  • ३ - सत्य जानना जीवन के लिए आवश्यक है , फिर अधिकतर लोग इसे न जानते हुए भी जीवित कैसे हैं?
  • ४ - अज्ञान नष्ट होने के क्या लक्षण हैं?
  • ५ - मैं स्वयंप्रकाशित हूँ, फिर मेरे ज्ञान के लिए अनुभव क्यों आवश्यक है?
  • ६ - अनुभव असत्य है फिर प्रमाण कैसे हुआ?
  • ७ - ब्रह्म एक ही है , फिर अनंत रूपों में खंडित कैसे हो गया?
  • ८ - आनंद और सुख में क्या भेद है?
  • ९ - क्या मेरा तत्व पूर्णतया नैतिक है?
  • १० - मनुष्य जीवन का सही उपयोग क्या है?

गौरव

  • १ - ज्ञान का अधिकारी कौन है? ये कौन निर्धारित करता है?
  • २ - अनुभवों में संबंध हमेशा सटीक बनते हैं। सही या गलत?
  • ३ - गुरुजन भी अज्ञान के साधन हैं। सही या गलत?
  • ४ - तत्व नहीं बदलता, पर तत्व यदि शून्य है तो क्या ये परिभाषा उस पर लागू होगी?
  • ५ - शून्य का ज्ञान भी शून्य ही होगा। सही या गलत?
  • ६ - अनुभव सीमित हैं , तो प्रमाण भी सीमित है , फिर अस्तित्व को असीमित या पूर्ण कैसे कह सकते हैं?
  • ७ - इन्द्रियां परिवर्तनशील मिथ्या हैं, फिर उनके द्वारा अनुभव कैसे संभव है?
  • ८ - चित्त की कौन सी प्रक्रिया कभी बंद नहीं होती?
  • ९ - चित्त की कौन सी परतें अवैयक्तिक हैं?
  • १० - नाद और संभावना में क्या भेद है?

किशोर

  • १ - ज्ञानमार्ग किसके लिए उपयुक्त है?
  • २ - ज्ञान और सत्य में क्या भेद है?
  • ३ - सत्य व्यक्तिनिष्ठ है , तो व्यक्ति के साथ बदलेगा। तो वो असत्य हुआ। सही या गलत?
  • ४ - अनुभवकर्ता को स्वयं का ज्ञान किस विधि से होता है ?
  • ५ - आत्मज्ञान स्मृति आधारित है। सही या गलत?
  • ६ - ब्रह्म अज्ञेय है इसलिए उसका तत्व नहीं जाना जा सकता। सही या गलत?
  • ७ - माया भी नित्य है , तो असत्य कैसे?
  • ८ - क्या संभावना सदा है?
  • ९ - क्या मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि ब्रह्म हो जाना है?
  • १० - चित्त की कौन सी प्रक्रिया विनाशकारी है?

रानी

  • १ - ज्ञानमार्ग में क्या प्राप्त होता है?
  • २ - ज्ञान स्मृति में है , पर स्मृति मिथ्या है। तो क्या ज्ञान भी मिथ्या है?
  • ३ - तत्व के जाने पर क्या रह जाता है?
  • ४ - अनुभवकर्ता नित्य है ये ज्ञान कैसे होता है?
  • ५ - शरीर के अभाव में अनुभवकर्ता नहीं है , इसलिए शरीर तत्व है, अनुभवकर्ता नहीं। खंडन कीजिये।
  • ६ - संवेदना और भावना केवल मुझे होती है किसी और को नहीं , इसलिए वो मैं हूँ। सही या गलत?
  • ७ - माया का निर्माण करने वाली प्रक्रियाएँ भी माया है। सही या गलत?
  • ८ - नाद चित्त की कौन सी परतों में अधिक मात्रा में पाया जाता है?
  • ९ - नियमित और अनियमित स्मृति क्षेत्रों में क्या भेद है?
  • १० - समय नहीं तो विकासक्रम क्यों है?

लक्ष्मी

  • १ - मूलज्ञान किस ज्ञान पर आधारित है और मूलज्ञान होने के बाद क्या जाना जाता है ?
  • २ - ज्ञानमार्ग में आने के लिए कौन सी जाति, भाषा और लिंग अनिवार्य हैं?
  • ३ - साधक अपने स्वयं के गुण दोष पहचान सकता है। सही या गलत?
  • ४ - क्या स्वप्नावस्था के अनुभव भी ज्ञान साधन हैं?
  • ५ - सत्य कौन सी विशेष अवस्था में जाना जाता है?
  • ६ - ब्रह्म में कौन से गुण हैं जिसके कारण उसकी उपासना आवश्यक हो जाती है?
  • ७ - अनुभवकर्ता का साक्षी मैं हूँ। सही या गलत?
  • ८ - अस्तित्व यदि शून्य है तो उसमें नाद कहाँ से आ गया?
  • ९ - चित्त का ज्ञान किस विधि से होता है?
  • १० - परतें चौकोर रूप में एक पर एक स्थित हैं, और सीमित मात्रा में हैं। सही या गलत ?

संदीप कश्यप

  • १ - ज्ञान जीवन का अभिन्न अंग कैसे है?
  • २ - हीन ज्ञान साधनों से क्या हानि होती है?
  • ३ - तत्व और सत्य में क्या भेद है?
  • ४ - अस्तित्व और आनंद भिन्न कैसे हैं?
  • ५ - यदि अनुभवकर्ता सर्वव्यापी है, तो शरीर के अंदर क्यों नहीं है?
  • ६ - अनुभव समय से क्रम में होते हैं। सही या गलत?
  • ७ - माया में संभावना क्यों है?
  • ८ - नाद किन तत्वों से बना है?
  • ९ - परतें जीव तक ही क्यों सीमित हैं?
  • १० - कौन सी अवस्था विकास को दर्शाती है?

जानकी

  • १ - ज्ञान की मात्रा कैसे नापी जाती है?
  • २ - सत्य क्या है कौन निर्धारित करता है?
  • ३ - क्या ज्ञानमार्ग केवल शिक्षित लोगो के लिए है?
  • ४ - किसी और का तत्व क्या है, ये आप कैसे जानते हैं?
  • ५ - अनुभवकर्ता को किस दृष्टी से देखना ठीक है - प्रेम, पूज्य, देव, या शून्य?
  • ६ - अस्तित्व समयहीन है तो उसमे इतनी प्रक्रियाएं , वृत्तियाँ आदि कैसे चल रही हैं?
  • ७ - माया बहुत बड़ी समस्या है, अन्यथा अस्तित्व पवित्र है। अपने विचार बताएं।
  • ८ - नाद का अनुभव क्यों नहीं होता?
  • ९ - चित्त की किन अवस्थाओं में ऊपरी परतें सक्रीय होती हैं?
  • १० - विकासक्रम की दृष्टी से मनुष्य की स्थिति क्या है - नीच, मध्य या उच्च?

रीनू

  • १ - सम्पूर्ण ज्ञान कब होता है?
  • २ - अज्ञान का नाश ही ज्ञान है। कैसे?
  • ३ - सत्य परिवर्तनशील है। सही या गलत?
  • ४ - अस्तित्व में सबकुछ है , फिर वो शून्य कैसे हुआ?
  • ५ - अनुभवकर्ता की रचना कैसे हुई और किसने की?
  • ६ - अस्तित्व का अनुभव क्यों नहीं हो सकता?
  • ७ - कौन सी इन्द्री नाद के परे अनुभव दिलाती है?
  • ८ - संवेदना का प्रयोजन क्या है?
  • ९ - क्या परतों के बिना चित्त संभव है?
  • १० - अवस्थाएं क्यों बदलती हैं?

सुमा

  • १ - ज्ञान के लिए कितना प्रयास आवश्यक है?
  • २ - ज्ञानमार्ग में पुस्तकों का क्या महत्व है?
  • ३ - सत्य व्यक्तिनिष्ठ है तो उसको जानने से क्या लाभ?
  • ४ - अनुभवकर्ता में क्या नहीं है?
  • ५ - अनुभव का अंत होने पर मैं कहाँ होता हूँ?
  • ६ - मनुष्य को अनुभव किस प्रक्रिया द्वारा होते हैं, और वो क्यों आवश्यक है?
  • ७ - चित्त नामरूप की रचना कैसे करता है?
  • ८ - अवस्थाओं में भिन्नता क्यों है?
  • ९ - जब अनुभवकर्ता के लिए नैतिकता अर्थहीन है, तो व्यक्ति के लिए भी अर्थहीन है। सही या गलत?
  • १० - ब्रह्म को जानना कैसे संभव है?

मनदीप

  • १ - यदि तर्क केवल बौद्धिक है और इसकी क्षमता सभी में कम-ज़्यादा होती है तो उसे प्रमाण कैसे माना जा सकता है?
  • २ - यदि कोई व्यक्ति जीवन से संतुष्ट है और प्रसन्न है तो क्या उसे ज्ञानमार्ग पर आना चाहिए?
  • ३ - सत्य की क्या विशेषताएं होती हैं?
  • ४ - अनुभवकर्ता को न जान पाने पर मनुष्य में क्या गुण-दोष आते हैं?
  • ५ - अस्तित्व में क्या नहीं है?
  • ६ - यदि सम्पूर्ण अनुभव अस्तित्व के प्रकट रूप हैं तो अनुभवकर्ता अस्तित्व कैसे हुआ जबकि उसका कोई रूप नहीं?
  • ७ - चित्त का क्या प्रमाण है?
  • ८ - सभी अनुभव चित्तनिर्मित हैं पर संपूर्णता की रचना मेरे चित्त में कैसे हो सकती है, वो तो स्वयं एक रचना है?
  • ९ - ऐसी कौन सी प्रक्रियांएँ हैं जो चित्त की सभी परतों में देखी जाती हैं?
  • १० - अस्तित्व का विकासक्रम कैसे होता है, वो किन चरणों से जाता है?

आलम

  • १ - ज्ञानमार्ग को विनाशक मार्ग क्यों कहा गया है?
  • २ - ज्ञान संयोजन के कितने प्रकार हैं?
  • ३ - अज्ञान के साधन कौन से हैं?
  • ४ - तत्व और नामरूप में क्या भेद हैं?
  • ५ - अस्तित्व इंद्रियजनित माया है। सही या गलत?
  • ६ - अनुभवकर्ता निराकार होते हुए भी सभी में प्रकट है। कैसे?
  • ७ - अनुभव में कितने गुण हैं?
  • ८ - माया का प्रतिरूप (मॉडल) किस आधार पर बनाया गया है?
  • ९ - संवेदना क्या है?
  • १० - चित्त की कौन सी परतें अविकसित हैं?

पुनीत

  • १ - ज्ञान न होने के कारण क्या हैं?
  • २ - अपरोक्ष अनुभव न होने पर भी ज्ञान कैसे हो सकता है?
  • ३ - तत्व क्यों नहीं बदलता?
  • ४ - अस्तित्व के बारे में क्या मान्यताएं हैं?
  • ५ - अनुभवकर्ता में क्या नहीं है?
  • ६ - साक्षीभाव और ध्यान में क्या फर्क है?
  • ७ - क्या ब्रह्मज्ञान के बाद ब्रह्म का अनुभव होगा?
  • ८ - क्या नाद भी मिथ्या है?
  • ९ - इन्द्रीओं की क्या विशेषताएं हैं?
  • १० - कौन सी परतों में शरीर हैं?

प्रवीण

  • १ - मूलज्ञान से बड़ा ज्ञान कौन सा है?
  • २ - गुरु के बिना ज्ञान क्यों नहीं होता?
  • ३ - अज्ञेयता और अबोधता में क्या फर्क है?
  • ४ - अस्तित्व का तत्व शून्य होकर भी उसमे सबकुछ कैसे है?
  • ५ - आत्मज्ञान में अनुभवकर्ता के दर्शन किसको होते हैं?
  • ६ - कौन सा अनुभव मिथ्या नहीं है और उसको पाने के लिए क्या करना चाहिए?
  • ७ - स्मृति में परतें क्यों बनती हैं?
  • ८ - कौन सी इन्द्रियां सत्य दर्शाती हैं?
  • ९ - ज्ञान और विकासक्रम में क्या संबंध है?
  • १० - अवस्थाओं का बदलना क्या दर्शाता है?


पुष्पेन्द्र सिंह

  • १ - ज्ञान की शुरुआत कहाँ से होती है और अंत कहाँ होता है?
  • २ - सत्य जानने के बाद क्या जानना महत्वपूर्ण है?
  • ३ - साधक की सफलता की कुंजी क्या है?
  • ४ - अस्तित्व में सबकुछ है, फिर शून्य क्यों?
  • ५ - अनुभवकर्ता सम्पूर्णता है, फिर केवल एक कैसे है?
  • ६ - अनुभव अंतहीन है पर स्मृति नहीं। सही या गलत?
  • ७ - माया में क्या नहीं है?
  • ८ - चित्त एक, रूप अनेक। सही या गलत?
  • ९ - क्या परतों का विकास ही साधक का लक्ष्य है?
  • १० - कौन सी अवस्था सत्य है, कौन सी मिथ्या?

अनुरूप

  • १ - ज्ञानमार्ग में कौन से बंधन हैं?
  • २ - श्रेष्ठ ज्ञानसाधन कौन से हैं?
  • ३ - क्या जो अनुभव हमेशा एक जैसा होता है सत्य है?
  • ४ - अस्तित्व के नष्ट होने के बाद क्या रह जाता है?
  • ५ - अनुभवकर्ता का कार्य क्या है?
  • ६ - क्या साक्षीभाव के बिना जीवन असंभव है?
  • ७ - माया में सबसे महत्वपूर्ण गुण कौन सा है?
  • ८ - चित्त की परतों में संचार कैसे होता है?
  • ९ - मनुष्य विकासक्रम की कौन सी पायदान पर है?
  • १० - कौन सी विधि से अवस्थाओं को समाप्त किया जा सकता है?

रमेश

  • १ - ज्ञानमार्ग में कोई साधना क्यों नहीं है?
  • २ - सत्य न जानने से जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  • ३ - अज्ञेयता का क्या लाभ है?
  • ४ - अस्तित्व में कौन सी विशषताएँ हैं जो किसी और वस्तु में नहीं?
  • ५ - अनुभवकर्ता का कौन सा गुण सर्वश्रेष्ठ है?
  • ६ - अंतिम अनुभव कौन सा होगा?
  • ७ - माया के परे क्या है?
  • ८ - स्मृतिक्षेत्र कैसे बनते हैं?
  • ९ - नाद का प्रत्यक्ष अनुभव कैसा होता है?
  • १० - विकासक्रम का अंत कहाँ होता है?

आरती

  • १ - ज्ञानमार्ग किस विश्वास पर आधारित है?
  • २ - अज्ञान का सबसे बड़ा कारण क्या है?
  • ३ - सत्य कौन बताता है?
  • ४ - अस्तित्व के कितने प्रकार हैं?
  • ५ - मेरे अनुभवकर्ता न बनने से क्या समस्या आ सकती है?
  • ६ - कौन सा अनुभव माया है और कौन सा सत्य?
  • ७ - माया का ज्ञान किन साधनों से होता है?
  • ८ - नाद क्यों है?
  • ९ - कौन सी इंद्री केवल सत्य दर्शाती है?
  • १० - शरीरों का क्या अर्थ है?

सुमन

  • १ - मेरे लिए ज्ञानमार्ग उचित है कैसे जाना जाता है?
  • २ - अज्ञान का अंत कैसे संभव है?
  • ३ - साधक पर सत्य जानने का क्या प्रभाव होता है?
  • ४ - अस्तित्व में सबसे सरल क्या है?
  • ५ - अनुभवकर्ता में साक्षीभाव का अभाव कब होता है?
  • ६ - दो व्यक्तियों के अनुभवों में क्या भिन्नता होती है?
  • ७ - माया का क्या प्रयोजन है?
  • ८ - चित्त में अनंत संभावना होने पर भी वो सीमित क्यों है?
  • ९ - विकासक्रम के लिए सफलता का क्या सूत्र है?
  • १० - ज्ञान किस अवस्था में आसानी से होता है?

प्रशांत

  • १ - ज्ञानमार्ग में कौन सी बाधाएं आ सकती हैं?
  • २ - ज्ञान और स्मृति में क्या संबंध है?
  • ३ - तत्व क्यों नहीं बदलता?
  • ४ - जो सम्पूर्ण है वो अस्तित्व है , पर जो अपूर्ण है वो क्या है?
  • ५ - अनुभवकर्ता ही तत्व है इसका अपरोक्ष अनुभव कैसे होता है?
  • ६ - अनुभव और अनुभवकर्ता कैसे सम्बंधित हैं?
  • ७ - माया का ज्ञान भी माया है। सही या गलत?
  • ८ - बुद्धि की परत की क्या विशेषताएं हैं?
  • ९ - कौन सा अनुभव इन्द्रियों के वश में नहीं है?
  • १० - अनुभवकर्ता के विकास के लिए कौन सा उपाय अच्छा है?

स्वयंदीप्ता

  • १ - ज्ञानमार्ग में क्या नहीं मिलता?
  • २ - ज्ञान के साधन दो ही क्यों हैं?
  • ३ - सत्य के कितने मानदंड हैं?
  • ४ - अस्तित्व में क्या नहीं है?
  • ५ - स्थूल, सूक्ष्म या कारण - कौन सा शरीर मैं हूँ?
  • ६ - साक्षी कैसे बना जाता है?
  • ७ - माया सदा है इसलिए सत्य है। सही या गलत?
  • ८ - कौन सा अनुभव चित्त का है?
  • ९ - अनंत संभावना का क्या अर्थ है?
  • १० - कौन सी अवस्था ज्ञान के लिए अच्छी है - जागृति, स्वप्न या सुषुप्ति?

देवीदास

  • १ - साधक में कौन से गुण आवश्यक नहीं हैं?
  • २ - ज्ञान की सीमा क्या है?
  • ३ - सत्य व्यक्तिनिष्ठ है तो उसे जानकर क्या लाभ है?
  • ४ - अज्ञान में ही सही सांसारिक सुख है। सही या गलत?
  • ५ - अस्तित्व की तुलना किससे की जा सकती है?
  • ६ - अनुभवकर्ता अस्तित्व का ही एक भाग है। सही या गलत?
  • ७ - अनुभव एक है, फिर सबके अनुभव भिन्न क्यों हैं?
  • ८ - माया में क्या नहीं है?
  • ९ - इन्द्रियां कैसे कार्य करती हैं?
  • १० - परतीय रचना से जटिल कौन सी रचना है?

नयना

  • १ - मुख्य ज्ञान कौन सा है?
  • २ - नकारात्मक ज्ञान ही सही ज्ञान क्यों है?
  • ३ - समाज में ज्ञान के साधनों का अभाव क्यों है?
  • ४ - तत्व जानना क्यों आवश्यक है?
  • ५ - जो नहीं है वो अस्तित्व है। सही या गलत?
  • ६ - क्या आत्मज्ञान के बाद अनुभवकर्ता प्रकट होगा?
  • ७ - अच्छे अनुभव कम और बुरे अनुभव अधिक क्यों हैं?
  • ८ - यदि स्मृति से कोई घटना मिट जाये तो क्या वो अस्तित्व से भी मिट जाती है?
  • ९ - यदि १+१=२ होने का अनुभव सदा सत्य है, तो उसे मिथ्या कहना कैसे उचित है?
  • १० - विकासक्रम कब रुक जाता है?

ऋतंभरा

  • १ - ज्ञानमार्ग विनाशक मार्ग क्यों है?
  • २ - साधक परम अवस्था में कैसे पहुँचता है?
  • ३ - ज्ञान का परिणाम अज्ञेयता है, फिर ज्ञान का क्या लाभ?
  • ४ - कौन सी सूचना सबसे हानिकारक होती है?
  • ५ - साक्षी का प्रत्यक्ष अनुभव लेने के लिए कौन सी विधि है?
  • ६ - अस्तित्व का अनुभव किसको होता है और कैसे?
  • ७ - माया के हट जाने पर क्या प्रकट होता है?
  • ८ - सरलतम परिवर्तन द्वैत ही क्यों है?
  • ९ - संवेदना का उद्देश्य सत्य दिखाना है। सही या गलत?
  • १० - नादरचनाओं के मुख्य उदाहरण कौन से हैं?

अजय

  • १ - सूचना और शाब्दिक ज्ञान में क्या भेद है?
  • २ - अज्ञान का व्यक्ति पर क्या प्रभाव होता है?
  • ३ - तत्व को कैसे जाना जाता है?
  • ४ - अस्तित्व की तुलना शून्य से क्यों की गई है?
  • ५ - अनुभवकर्ता अपने ही जन्म का साक्षी है। सही या गलत?
  • ६ - कौन सी अवस्था में अनुभवकर्ता अनुभव में समाहित होता है?
  • ७ - माया के ज्ञान की क्या विधि है ?
  • ८ - जीवन में बुरे अनुभव न हों इसके लिए क्या उपाय है?
  • ९ - चित्त एक है फिर सभी जीवों का स्वभाव भिन्न क्यों है?
  • १० - संवेदना कौन सी परत से आती है?

रिंको

  • १ - मूल अज्ञान क्या है?
  • २ - यदि परिवार और संसार में शिष्य रूचि ले तो क्या उसको ज्ञान होगा?
  • ३ - यदि स्मृति मिथ्या है तो ज्ञान कैसे संभव है?
  • ४ - सत्य न मिले तो क्या करना चाहिए?
  • ५ - अस्तित्व पूर्ण और निर्गुण है फिर उसमें समस्याएं क्यों हैं?
  • ६ - अनुभवकर्ता में गुणों का अभाव क्यों है?
  • ७ - अनुभव मिथ्या हैं तो उनको जानकर क्या लाभ?
  • ८ - स्मृति की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
  • ९ - चित्त की अनावश्यक प्रक्रियाएं कैसे बंद की जा सकती हैं?
  • १० - कौन से लोक में विकासक्रम तेज होता है?

रामकुमार

  • १ - यदि अनुभव को किताब में लिख दें, तो क्या वो ज्ञान है?
  • २ - सत्य की परीक्षा कैसे संभव है?
  • ३ - अज्ञानी को क्या समझाने से ज्ञान हो जाता है?
  • ४ - जो अनंत है वही शून्य है। कैसे?
  • ५ - गुरु अनुभवकर्ता में संचित अज्ञान कैसे हटाता है?
  • ६ - भविष्य में होने वाले अनुभव कहाँ संग्रहित हैं?
  • ७ - नाद में दो अवस्थाएं हैं, फिर नादरचनाएँ अनंत कैसे?
  • ८ - माया में स्मृति कैसे बनती है?
  • ९ - इस समय विश्वचित्त का विकास कहाँ तक हो चुका है?
  • १० - इन्द्रीओं के द्वारा कौन सा ज्ञान होता है?


यश

  • १ - समर्पण किस प्रकार करना चाहिए?
  • २ - अज्ञान के बहुत से रूप हैं। उदाहरण दीजिये।
  • ३ - किस प्रकार का ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण है?
  • ४ - तत्व जानना क्यों आवश्यक है?
  • ५ - अस्तित्व की धारणा सत्य कैसे है?
  • ६ - अनुभवकर्ता के साथ भी अस्तित्व शून्य है और उसके बिना भी। सही या गलत?
  • ७ - विचारों का अनुभव कौन सी परत में होता है?
  • ८ - चित्त भेद क्यों करता है?
  • ९ - सभी लोक चित्त में हैं, फिर उनका अनुभव क्यों नहीं होता?
  • १० - समाज में साक्षीभाव कैसे जगाएं?

अनीता

  • १ - अज्ञान और अज्ञेयता में क्या भेद है?
  • २ - सत्य है पर दिखता नहीं, फिर कैसे ज्ञात हुआ?
  • ३ - अनंत संभावना का क्या अर्थ है?
  • ४ - स्वयं प्रकाशित का क्या अर्थ है?
  • ५ - अनुभवकर्ता की शक्ति से अनुभव संभव है। सही या गलत?
  • ६ - स्वप्न क्यों है?
  • ७ - माया नियमित क्यों है?
  • ८ - चित्त का स्वभाव क्या है?
  • ९ - विकास नहीं परिवर्तन है। सही या गलत?
  • १० - इन्द्रियां अनंत कैसे हैं?


मोनिका

  • १ - सटीक परिभाषाएं क्यों आवश्यक हैं?
  • २ - सत्य की क्या विशेषताएं हैं?
  • ३ - गुणों का विकास कैसे करें?
  • ४ - अनुभवक्रिया और अस्तित्व में क्या भेद है?
  • ५ - अनुभवकर्ता का पर्याप्त विकास होने पर वो स्वयं को जान सकता है। सही या गलत?
  • ६ - विश्वचित्त भी मैं ही हूँ। सही या गलत?
  • ७ - सभी परतों में सर्वश्रेष्ठ कौन सी है?
  • ८ - नाद से तन्मात्रा कैसे बनती है?
  • ९ - माया का ज्ञान क्यों आवश्यक है?
  • १० - चित्तवृत्ति और अवस्था में क्या संबंध है?

नित्या

  • १ - ज्ञान क्यों आवश्यक है?
  • २ - अज्ञानी को सही मार्ग पर लाने का उपाय क्या है?
  • ३ - तत्वहीन तत्व क्या है?
  • ४ - क्या अज्ञेयता सर्वोच्च अवस्था है?
  • ५ - अपरोक्ष अनुभव द्वारा अनुभवकर्ता का ज्ञान कैसे संभव है?
  • ६ - अनुभव में अनंत संभावना है। सही या गलत?
  • ७ - सामान्य और विशेष आध्यात्मिक अनुभव कैसे भिन्न हैं?
  • ८ - संवेदना वस्तुओं की होती है। सही या गलत?
  • ९ - स्मृति अस्थायी है तो चित्त स्थायी कैसे?
  • १० - कौन सी अवस्था दुर्लभ है - जागृति या सूक्ष्म/स्वप्न?


प्रकाश

  • १ - ज्ञानहीन जीवन सरल है। सही या गलत?
  • २ - विश्वास ज्ञान साधनों में श्रेष्ठ क्यों है?
  • ३ - क्या वैराग्य के गुण के बिना ज्ञान संभव है?
  • ४ - अस्तित्व अविभाजित है। सिद्ध करें।
  • ५ - अनुभवकर्ता ने व्यक्ति का रूप क्यों धारण किया?
  • ६ - अनुभवकर्ता को सभी अनुभव होते हैं फिर वो अबोध कैसे?
  • ७ - अनंत संभावना है फिर सत्य अनुभव की संभावना क्यों नहीं?
  • ८ - बुद्धि की परत की क्या विशेषताएं हैं?
  • ९ - नाद परिकल्पना होते हुए भी उपयोगी क्यों है?
  • १० - माया चक्रीय है इसलिए विकासक्रम भी चक्रीय है। सही या गलत?

ज्योति

  • १ - ज्ञानमार्ग की विभिन्न शाखाएं कौन सी हैं?
  • २ - तत्व में क्या नहीं होता?
  • ३ - अज्ञेयता की स्थिति में क्या करना चाहिए?
  • ४ - अस्तित्व का सृजन किसने किया और कैसे?
  • ५ - मेरा आधार क्या है?
  • ६ - व्यक्ति नहीं है, तो अनुभवकर्ता को उसके बिना सीधे अनुभव क्यों नहीं हो सकता?
  • ७ - आकाश की नाद आधारित व्याख्या करें।
  • ८ - माया को जानने से माया नष्ट हो जाती है। सही या गलत?
  • ९ - स्मृति में नाद कैसे छपता है?
  • १० - विकासक्रम का क्या प्रमाण है?

गयाप्रसाद

  • १ - संतोषी व्यक्ति को ज्ञान नहीं हो सकता। सही या गलत?
  • २ - गुरु ज्ञान और अज्ञान दोनों का माध्यम है। सही या गलत?
  • ३ - असत्य का ज्ञान सत्य के ज्ञान से क्यों महत्वपूर्ण है?
  • ४ - अस्तित्व पूर्ण या सुंदर है तो उसमे बुराई क्यों है?
  • ५ - अनुभवकर्ता की विशेषताओं में कौन सी विशेषता नकारात्मक है?
  • ६ - अनुभव द्वैत में है, अद्वैत में क्यों नहीं?
  • ७ - माया में सबसे विचित्र बात क्या है?
  • ८ - चित्त एक है इसका प्रमाण क्या है?
  • ९ - परतें होना क्यों आवश्यक है?
  • १० - इन्द्रीओं में सबसे उपयोगी कौन सी इंद्री है?

हाफिज

  • १ - ज्ञान का अधिकारी कौन है?
  • २ - अज्ञानी की क्या पहचान है?
  • ३ - प्रमाण या साधन कैसे निर्धारित किये जाते हैं?
  • ४ - अस्तित्व का दृष्टा कौन है?
  • ५ - अनुभवकर्ता को किस विधि से जगत के दर्शन होते हैं?
  • ६ - अनुभव के तीन प्रकार हैं। सही या गलत?
  • ७ - माया का अपरोक्ष अनुभव कैसे हो सकता है?
  • ८ - मिथ्या रूप क्या हैं?
  • ९ - नाद के मिश्रण से क्या बनता है?
  • १० - विश्वचित्त का विकास कितना हो गया है?

राजमल

  • १ - गुरु ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ साधन है। सही या गलत?
  • २ - वो क्या है जिसका तत्व नहीं होता?
  • ३ - ज्ञान चित्त या बुद्धि पर निर्भर है और ये सबमें भिन्न हैं, तो एक ही ज्ञान कैसे होगा?
  • ४ - अस्तित्व समयहीन कैसे है?
  • ५ - अनुभवकर्ता में अनंत संभावना क्यों है?
  • ६ - अस्तित्व कैसे अनुभव में परिवर्तित हो रहा है?
  • ७ - अनुभव की वस्तुनिष्ठता का क्या प्रमाण है?
  • ८ - माया से मुक्ति कैसे होगी?
  • ९ - रचना और विनाश कैसे होते हैं?
  • १० - वस्तुएं में नाद क्यों नहीं दिखता?

जया

  • १ - ज्ञान सूचना से भिन्न कैसे है?
  • २ - अज्ञेयता का क्या अर्थ है?
  • ३ - सत्य का अनुभव न होने पर भी उसे कैसे जान सकते हैं?
  • ४ - क्या अनुभवकर्ता स्वरचित है?
  • ५ - अस्तित्व के दर्शन की क्या विधि है?
  • ६ - अनुभव कब समाप्त होता है? उसके बाद क्या बच जाता है?
  • ७ - माया का ज्ञान भी माया है। सही या गलत?
  • ८ - विनाशकारी प्रक्रियाएं अस्तित्व में दोष होने का प्रमाण है। सही या गलत?
  • ९ - स्मृति-नाश कैसे होता है?
  • १० - क्या मेरे चित्त का ज्ञान मुझे बिना इन्द्रीओं के होगा?

कविता

  • १ - ज्ञानमार्ग में आने के लिए कौन से नियम हैं?
  • २ - तत्व कौन सी साधना से जाना जाता है?
  • ३ - मान्य साधन क्या हैं?
  • ४ - क्या संभावना सत्य है?
  • ५ - अनुभवकर्ता द्वैत में परिभाषित है, फिर वो सत्य कैसे?
  • ६ - यदि मृत्यु अनुभव है, और अनुभव-अनुभवकर्ता एक हैं, तो अनुभवकर्ता अमर कैसे?
  • ७ - अनुभव आना जाना है , तो अनंत कैसे?
  • ८ - चित्त की कौन सी वृत्ति या परत अनुभव निर्मित करती है?
  • ९ - स्थायित्व एक भ्रम है। सही या गलत?
  • १० - जीव के विकास या पतन के लिए कौन उत्तरदायी है?

राजा

  • १ - ज्ञानमार्ग कब समाप्त होता है?
  • २ - सत्य कब तक सत्य रहता है?
  • ३ - अज्ञेयता का क्या लाभ है?
  • ४ - अस्तित्व का विश्लेषण कहाँ तक सार्थक है जबकि कुछ जाना नहीं जाता?
  • ५ - अनुभवकर्ता बुद्धि द्वारा जाना जाता है फिर बुद्धि के परे कैसे?
  • ६ - सभी अनुभव विसत्य हैं। सही या गलत?
  • ७ - माया का अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  • ८ - चित्त और ज्ञान में क्या संबंध है?
  • ९ - कौन सी परतों में इन्द्रियां नहीं होती?
  • १० - नाद को स्मृति में स्थायी कैसे किया जाता है?

संदीप

  • १ - ज्ञान के प्रभाव क्या हैं?
  • २ - शिष्य में समर्पण का गुण क्यों आवश्यक है?
  • ३ - सत्य जानने की क्या विधि है?
  • ४ - अनुभवकर्ता कब प्रकट होता है?
  • ५ - मिथ्या को जान लेने पर उसमें क्या परिवर्तन होता है?
  • ६ - अस्तित्व किन नियमों से बंधा है?
  • ७ - संभावना का क्या अर्थ है?
  • ८ - अनुभवों की क्या सीमा है?
  • ९ - चित्त अनुशासित क्यों नहीं चलता?
  • १० - आध्यात्मिक विकास के लिए माया को जानना क्यों आवश्यक है?

कमलेश

  • १ - ज्ञान का विस्तार कितना है?
  • २ - समझना और जानना कैसे भिन्न है?
  • ३ - सत्य को आचरण में लाने के लिए क्या करना होगा?
  • ४ - तत्व के बहुमुखी गुण कौन से हैं?
  • ५ - अस्तित्व में क्या असंभव है?
  • ६ - अनुभवकर्ता में अनुभव करने की इच्छा क्यों है?
  • ७ - सभी अनुभव सात्विक हो इसके लिए कौन सी साधना अच्छी है?
  • ८ - तन्मात्रा ही माया का तत्व है। सही या गलत?
  • ९ - चित्त वृत्ति की क्या विशेषताएं हैं?
  • १० - नाद द्वैत परिवर्तन है, इस धारणा से क्या जाना जाता है?

अरुण

  • १ - ज्ञानी की उपाधि कैसे प्राप्त होती है?
  • २ - अज्ञेय है या बस मेरा अज्ञान है। कैसे निश्चित होता है?
  • ३ - कौन से प्रश्न ज्ञानमार्ग में उपयोगी नहीं हैं?
  • ४ - अस्तित्व की सही व्याख्या क्या है?
  • ५ - अनुभवकर्ता को स्वयं का अनुभव होता है जो सगुण है। फिर अनुभवकर्ता निर्गुण कैसे है?
  • ६ - वो क्या है जो माया के रूप में प्रकट है?
  • ७ - चित्त एक ही है इसका प्रमाण क्या है?
  • ८ - नाद में गति कैसे उपजती है?
  • ९ - संवेदना मिथ्या है लेकिन जिसकी संवेदना होती है वो सत्य है। सही या गलत?
  • १० - विकासक्रम रूक जाए तो अस्तित्व की क्या दशा होगी?

अर्जन

  • १ - ज्ञानपूर्ण जीवन क्यों बेहतर है ?
  • २ - ज्ञान के साधनों में और कौन से साधन जोड़े जा सकते हैं?
  • ३ - अनित्य तत्व क्यों नहीं हो सकता?
  • ४ - क्या है जो स्वयं प्रकाशित है - अस्तित्व या अनुभव?
  • ५ - अंत में जीव अनुभवकर्ता में विलीन हो जाता है। सही या गलत?
  • ६ - समयहीनता का अर्थ स्थायित्व है। सही या गलत?
  • ७ - क्या माया का प्रभाव आजीवन रहता है?
  • ८ - चित्त में क्या ठीक किया जा सकता है?
  • ९ - स्मृति क्या है?
  • १० - अच्छे अनुभव कौन सी अवस्था में होते हैं?

जगदीश

  • १ - जीवन पर ज्ञान का क्या प्रभाव पड़ता है?
  • २ - सत्य जानने की क्या विधि है?
  • ३ - अज्ञात क्या है?
  • ४ - अस्तित्व के बाहर क्या है? प्रमाण दीजिये।
  • ५ - अनंत संभावना क्यों है?
  • ६ - अनुभवकर्ता में क्या नहीं मिलता?
  • ७ - अनुभव से क्या जाना जाता है?
  • ८ - क्या माया का ज्ञान आवश्यक है?
  • ९ - चित्त की कौन सी परत दुःख का कारण है?
  • १० - अनुभव संवेदना का होता है इसलिए असत्य है। सही या गलत?